मुंबई
राज्य में उत्पन्न सूखे की गंभीर स्थिति से निपटने और पानी की उपलब्धता के लिए जरूरी सभी तकनीकों के इस्तेमाल का निर्णय लिया गया। इसी के तहत एरियल क्लाउड सीडिंग का उपयोग कर कृत्रिम बारिश कराने का निर्णय मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। राज्य में बारिश से कमी से इस साल कई इलाकों में जलसंकट पैदा हो गया है। ऐसे में बारिश को बढ़ाना जरूरी है। सरकारी स्तर पर विभिन्न उपायों को अपनाने के लिए चर्चाएं शुरू हैं। कृत्रिम वर्षा इसका एक हिस्सा है। कैबिनेट ने एरियल क्लाउड सीडिंग का उपयोग कर कृत्रिम बारिश कराने को मंजूरी प्रदान की। इसके लिए 30 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई। विदेश में एरियल क्लाउड सीडिंग के प्रयोग के जरिए 28 से 45 फीसदी तक बारिश की मात्रा को बढ़ाया गया है। राज्य के मराठवाडा, विदर्भ और पश्चिम महाराष्ट्र जैसे कम बारिश वाले इलाकों में क्लाउड सीडिंग के जरिए बारिश कराई जाएगी। इसके लिए औरंगाबाद में सीबैंड डॉपलर रडार और विमान को तैयार है। सरकार का कहना है कि अनुमान से कम बारिश होने की संभावना को देखते हुए कृत्रिम बारिश से काफी मदद मिल सकती है। इसमें जलयुक्त शिवार योजना के तहत हुए कामों का भी लाभ मिलेगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 18 मई तक राज्य के 26 जलाशयों में जल भंडारण शून्य के आस-पास पहुंच गया था।
पहले भी हो चुका है प्रयोग
कृत्रिम बारिश का प्रयोग नया नहीं है। वर्ष 2003 में क्लाउड सीडिंग तकनीक का प्रयोग कर 22 तहसीलों में कृत्रिम बारिश कराई गई थी। वर्ष 2015 में नाशिक में इसी तकनीक के जरिए कृत्रिम बारिश कराने का प्रयोग किया गया था, लेकिन यह प्रयोग सफल नहीं हो पाया था।
छावनियोंमे मवेशीयोंको टेंकर से पानी देने का निर्णय
राज्य में अकाल की स्थिति जिन इलाकों में हैं, वहां पर शुरू की गई चारा छावनियों के मवेशियों के लिए टैंकर के द्वारा पानी देने तथा राज्य में पहली बार भेड़-बकरियों के लिए छावनी शुरू करने का निर्णय मदद एवं पुनर्वसन मंत्री चंद्रकांत पाटिल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल उपसमिति की बैठक में लिया गया। चारा छावनियों के बिल देने में विलंब न करने और चारा छावनियों के स्थानों पर अस्थाई शौचालय शुरू करने के निर्देश पाटिल ने दिए। मंत्रालय में अकाल के संदर्भ में उपाययोजन के लिए मंत्रिमंडल उपसमिति बैठक हुई। इस समय पाटिल बोल रहे थे। बैठक में वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, ग्रामविकास मंत्री पंकजा मुंडे, जलापूर्ति एवं स्वच्छता मंत्री बबनराव लोणीकर, पदुम मंत्री महादेव जानकर, कृषि राज्यमंत्री सदाभाऊ खोत, विविध विभागों के अपर मुख्य, प्रधान सचिव, सचिव उपस्थित थे।
इस संदर्भ में जानकारी देने के लिए मंत्रालय में हुई पत्रकार परिषद में मदद एवं पुनर्वसन मंत्री पाटिल ने कहा कि राज्य में फिलहाल 6209 टैंकर्स के माध्यम से 4920 गांव और 10 हजार 506 बस्तियों में जलापूर्ति की जा रही हैं। राज्यमें नाशिक, पुणे, औरंगाबाद विभाग में कुल 1501 चारा छावनियां शुरू हैं। इसमें लगभग 10 लाख 4 हजार 684 मवेशी हैं। अबतक चारा छावनियों के लिए औरंगाबाद विभागीय आयुक्त को 111 करोड़, पुणे चार और नाशिक विभागीय आयुक्त को 47 करोड़ रुपए की निधि वितरण किया गया है।
छावनियों के मवेशियों की सुविधा के लिए सरकार की ओर से टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति करने का निर्णय बैठक में लिया गया। मवेशियों की देखभाल के लिए किसान तथा उनके परिवार की महिलाएं बड़ी पैमाने पर छावनियों में रहती हैं। ऐसे समय में महिलाओं के लिए अस्थाई स्वच्छता गृह निर्माण करने का निर्देश प्रशासन को दिया गया है। चारा छावनियों के बिल जिला प्रशासन द्वारा तकनीकी मुद्दों की जांच कर तत्काल अदा करने और उसमें विलंब न करने के निर्देश भी दिए गए। जिन किसानों को खेती के काम के लिए बैल दिनभर ले जाना है, उन्हें इसके लिए अनुमति दी जाएगी। राज्य में छोटे और बड़े जानवरों के लिए छावनियों का निर्माण किया है, लेकिन भेड़-बकरियों के लिए राज्य में पहली बार चारा छावनियां शुरू करने का निर्णय लिया गया है। राज्य में किसानों को फसल बीमा के नुकसान भरपाई के रूप में अबतक 34 लाख किसानों को 2200 करोड़ रुपए का वितरण किया गया है।
राज्य में उत्पन्न सूखे की गंभीर स्थिति से निपटने और पानी की उपलब्धता के लिए जरूरी सभी तकनीकों के इस्तेमाल का निर्णय लिया गया। इसी के तहत एरियल क्लाउड सीडिंग का उपयोग कर कृत्रिम बारिश कराने का निर्णय मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। राज्य में बारिश से कमी से इस साल कई इलाकों में जलसंकट पैदा हो गया है। ऐसे में बारिश को बढ़ाना जरूरी है। सरकारी स्तर पर विभिन्न उपायों को अपनाने के लिए चर्चाएं शुरू हैं। कृत्रिम वर्षा इसका एक हिस्सा है। कैबिनेट ने एरियल क्लाउड सीडिंग का उपयोग कर कृत्रिम बारिश कराने को मंजूरी प्रदान की। इसके लिए 30 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई। विदेश में एरियल क्लाउड सीडिंग के प्रयोग के जरिए 28 से 45 फीसदी तक बारिश की मात्रा को बढ़ाया गया है। राज्य के मराठवाडा, विदर्भ और पश्चिम महाराष्ट्र जैसे कम बारिश वाले इलाकों में क्लाउड सीडिंग के जरिए बारिश कराई जाएगी। इसके लिए औरंगाबाद में सीबैंड डॉपलर रडार और विमान को तैयार है। सरकार का कहना है कि अनुमान से कम बारिश होने की संभावना को देखते हुए कृत्रिम बारिश से काफी मदद मिल सकती है। इसमें जलयुक्त शिवार योजना के तहत हुए कामों का भी लाभ मिलेगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 18 मई तक राज्य के 26 जलाशयों में जल भंडारण शून्य के आस-पास पहुंच गया था।
पहले भी हो चुका है प्रयोग
कृत्रिम बारिश का प्रयोग नया नहीं है। वर्ष 2003 में क्लाउड सीडिंग तकनीक का प्रयोग कर 22 तहसीलों में कृत्रिम बारिश कराई गई थी। वर्ष 2015 में नाशिक में इसी तकनीक के जरिए कृत्रिम बारिश कराने का प्रयोग किया गया था, लेकिन यह प्रयोग सफल नहीं हो पाया था।
छावनियोंमे मवेशीयोंको टेंकर से पानी देने का निर्णय
राज्य में अकाल की स्थिति जिन इलाकों में हैं, वहां पर शुरू की गई चारा छावनियों के मवेशियों के लिए टैंकर के द्वारा पानी देने तथा राज्य में पहली बार भेड़-बकरियों के लिए छावनी शुरू करने का निर्णय मदद एवं पुनर्वसन मंत्री चंद्रकांत पाटिल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल उपसमिति की बैठक में लिया गया। चारा छावनियों के बिल देने में विलंब न करने और चारा छावनियों के स्थानों पर अस्थाई शौचालय शुरू करने के निर्देश पाटिल ने दिए। मंत्रालय में अकाल के संदर्भ में उपाययोजन के लिए मंत्रिमंडल उपसमिति बैठक हुई। इस समय पाटिल बोल रहे थे। बैठक में वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, ग्रामविकास मंत्री पंकजा मुंडे, जलापूर्ति एवं स्वच्छता मंत्री बबनराव लोणीकर, पदुम मंत्री महादेव जानकर, कृषि राज्यमंत्री सदाभाऊ खोत, विविध विभागों के अपर मुख्य, प्रधान सचिव, सचिव उपस्थित थे।
इस संदर्भ में जानकारी देने के लिए मंत्रालय में हुई पत्रकार परिषद में मदद एवं पुनर्वसन मंत्री पाटिल ने कहा कि राज्य में फिलहाल 6209 टैंकर्स के माध्यम से 4920 गांव और 10 हजार 506 बस्तियों में जलापूर्ति की जा रही हैं। राज्यमें नाशिक, पुणे, औरंगाबाद विभाग में कुल 1501 चारा छावनियां शुरू हैं। इसमें लगभग 10 लाख 4 हजार 684 मवेशी हैं। अबतक चारा छावनियों के लिए औरंगाबाद विभागीय आयुक्त को 111 करोड़, पुणे चार और नाशिक विभागीय आयुक्त को 47 करोड़ रुपए की निधि वितरण किया गया है।
छावनियों के मवेशियों की सुविधा के लिए सरकार की ओर से टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति करने का निर्णय बैठक में लिया गया। मवेशियों की देखभाल के लिए किसान तथा उनके परिवार की महिलाएं बड़ी पैमाने पर छावनियों में रहती हैं। ऐसे समय में महिलाओं के लिए अस्थाई स्वच्छता गृह निर्माण करने का निर्देश प्रशासन को दिया गया है। चारा छावनियों के बिल जिला प्रशासन द्वारा तकनीकी मुद्दों की जांच कर तत्काल अदा करने और उसमें विलंब न करने के निर्देश भी दिए गए। जिन किसानों को खेती के काम के लिए बैल दिनभर ले जाना है, उन्हें इसके लिए अनुमति दी जाएगी। राज्य में छोटे और बड़े जानवरों के लिए छावनियों का निर्माण किया है, लेकिन भेड़-बकरियों के लिए राज्य में पहली बार चारा छावनियां शुरू करने का निर्णय लिया गया है। राज्य में किसानों को फसल बीमा के नुकसान भरपाई के रूप में अबतक 34 लाख किसानों को 2200 करोड़ रुपए का वितरण किया गया है।
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