नागपुर
दशहरा के अवसर पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत महाराष्ट्र के नागपुर में 'आरएसएस-पथ संचलन मार्च' में शामिल हुए। भागवत ने इस अवसर पर शस्त्र पूजन के बाद स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि लिंचिंग की उत्पत्ति पश्चिमी देशों में हुई है। इसे भारत पर नहीं थोपा जाना चाहिए। ये भारत को बदनाम करने की साजिश है। भारत में
इतनी विविधताओं के बाद भी लोग एक साथ शांति से रहते हैं। भागवत ने इस दौरान जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के लिए मोदी सरकार की तारीफ की। उन्होंने चंद्रयान-
2 मिशन के लिए इसरो को सराहा। साथ ही उन्होंने अर्थव्यवस्था पर भी अपनी राय रखी।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर मोदी सरकार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उनमें लोगों की उम्मीदों को पूरा करने और देश के हित में लोगों की
भावनाओं और इच्छाओं का सम्मान करने का साहस है। इससे साबित हो गया कि सरकार कठोर निर्णय लेने की क्षमता रखती है। अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए मोदी और शाह
की प्रशंसा होनी चाहिए।
लिंचिंग को लेकर उन्होंने कहा कि लिंचिंग के रूप में सामाजिक हिंसा की कुछ घटनाओं को ब्रांड करना वास्तव में हमारे देश, हिंदू समाज को बदनाम करने और कुछ समुदायों के बीच
भय पैदा करने के लिए है। संघ का नाम इन घटनाओं से जोड़ा गया, जबकि ऐसी घटनाओं से स्वयंसेवकों का कोई संबंध नहीं होता। वे इन घटनाओं को रोकने की कोशिश करते हैं।
पर इस सबको तरह-तरह से पेश करके उसे झगड़ा बनाने का काम चल रहा है। एक षड़यंत्र चल रहा है, ये सबको समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत के अलावा इतनी विविधताओं के बाद भी इतने शांति से लोगों के रहने का उदाहरण कहीं और देखने को नहीं मिलता।
लिंचिंग शब्द की उत्पत्ति भारतीय लोकाचार से नहीं है। ऐसे शब्दों को भारतीयों पर न थोपें। भागवत ने कहा कि लिंचिंग खुद पश्चिमी निर्माण है, किसी को इसे भारतीय संदर्भ में देश
को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा हमें सद्भाव बनाने की जरूरत है, हर किसी को कानून के दायरे में रहना चाहिए। स्वयंसेवकों को यही संस्कार दिया जाता है।
दशहरा के अवसर पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत महाराष्ट्र के नागपुर में 'आरएसएस-पथ संचलन मार्च' में शामिल हुए। भागवत ने इस अवसर पर शस्त्र पूजन के बाद स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि लिंचिंग की उत्पत्ति पश्चिमी देशों में हुई है। इसे भारत पर नहीं थोपा जाना चाहिए। ये भारत को बदनाम करने की साजिश है। भारत में
इतनी विविधताओं के बाद भी लोग एक साथ शांति से रहते हैं। भागवत ने इस दौरान जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के लिए मोदी सरकार की तारीफ की। उन्होंने चंद्रयान-
2 मिशन के लिए इसरो को सराहा। साथ ही उन्होंने अर्थव्यवस्था पर भी अपनी राय रखी।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर मोदी सरकार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उनमें लोगों की उम्मीदों को पूरा करने और देश के हित में लोगों की
भावनाओं और इच्छाओं का सम्मान करने का साहस है। इससे साबित हो गया कि सरकार कठोर निर्णय लेने की क्षमता रखती है। अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए मोदी और शाह
की प्रशंसा होनी चाहिए।
लिंचिंग को लेकर उन्होंने कहा कि लिंचिंग के रूप में सामाजिक हिंसा की कुछ घटनाओं को ब्रांड करना वास्तव में हमारे देश, हिंदू समाज को बदनाम करने और कुछ समुदायों के बीच
भय पैदा करने के लिए है। संघ का नाम इन घटनाओं से जोड़ा गया, जबकि ऐसी घटनाओं से स्वयंसेवकों का कोई संबंध नहीं होता। वे इन घटनाओं को रोकने की कोशिश करते हैं।
पर इस सबको तरह-तरह से पेश करके उसे झगड़ा बनाने का काम चल रहा है। एक षड़यंत्र चल रहा है, ये सबको समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत के अलावा इतनी विविधताओं के बाद भी इतने शांति से लोगों के रहने का उदाहरण कहीं और देखने को नहीं मिलता।
लिंचिंग शब्द की उत्पत्ति भारतीय लोकाचार से नहीं है। ऐसे शब्दों को भारतीयों पर न थोपें। भागवत ने कहा कि लिंचिंग खुद पश्चिमी निर्माण है, किसी को इसे भारतीय संदर्भ में देश
को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा हमें सद्भाव बनाने की जरूरत है, हर किसी को कानून के दायरे में रहना चाहिए। स्वयंसेवकों को यही संस्कार दिया जाता है।
Post a Comment