मुजफ्फरपुर
बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बाबा गरीबनाथ मंदिर में चढ़ाए गए फूल और बेलपत्र से जैविक खाद तैयार किया जाएगा। ये खाद पूसा स्थित राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय द्वारा बनाया जाएगा। फूल और बेलपत्र के साथ ही केले के तना और मंदिर में चढ़ाए गए दूसरे अपशिष्ट पदार्थों से विश्वविद्यालय जैविक खाद तैयार करेगा।
विश्वविद्यालय परिसर में जैविक खाद बनाने की मशीन और पिट लगा हुआ है। पूसा स्थित राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन बाबा गरीबनाथ धाम से एक ट्रैक्टर मंदिर पर फूल और बेलपत्र के अलावा दूसरे अपशिष्ट पदार्थों को ले गया है, जिससे जैविक खाद तैयार करने का काम शुरू होगा। जैविक खाद की मार्केटिंग विश्वविद्यालय करेगा लेकिन जैविक खाद के पैकेट पर बाबा गरीबनाथ धाम के अपशिष्ट का जिक्र होगा। एक नवंबर को जैविक खाद तैयार करने के लिए गरीबनाथ धाम मंदिर न्यास समिति और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ है। एमओयू पर मंदिर न्यास समिति के सचिव एनके सिन्हा और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के कुलपति पीसी श्रीवास्तव ने हस्ताक्षर किया है।
एमओयू के तहत मंदिर पर चढ़ाए गए सभी फूल, बेलपत्र केले की तना सहित दूसरे अवशेषों को विश्वविद्यालय प्रशासन ले जाएगा। उत्तर बिहार के प्रसिद्ध देव स्थानों में शामिल बाबा रीबनाथ धाम मंदिर में साल में 365 ङ्क्षक्वटल से अधिक फूल, बेलपत्र और केले की तना चढ़ावे के बाद जमा होता है। सावन के माह में खासकर सोमवारी के दिन अधिक मात्रा में फूल और बेलपत्र बाबा गरीबनाथ को चढ़ता है। माना जाता है कि 5 ङ्क्षक्वटल के आस-पास ये चढ़ावा सावन के सभी सोमवारी में होता है, लेकिन रोजाना के हिसाब से औसतन एक ङ्क्षक्वटल यह चढ़ावा होता है। मंदिर पर चढ़ाए जाने वाले फूल और बेलपत्र मंदिर प्रशासन के लिए चुनौती बनता जा रहा था। 5 साल पहले तक शहर के बीचो-बीच बहने वाली बूढ़ी गंडक में फूल और बेलपत्र का विसर्जन होता था, लेकिन नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए मंदिर न्यास समिति द्वारा चलाए जा रहे दादर इलाके के डे केयर सेंटर के पास फूल और बेलपत्र का डंपिंग शुरू हुआ, लेकिन कुछ दिनों से वहां भी समस्या आनी शुरू हो गई थी लेकिन पूसा कृषि विश्वविद्यालय के प्रयास से मंदिर प्रशासन की चुनौती अब अवसर में बदल गया है।
बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बाबा गरीबनाथ मंदिर में चढ़ाए गए फूल और बेलपत्र से जैविक खाद तैयार किया जाएगा। ये खाद पूसा स्थित राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय द्वारा बनाया जाएगा। फूल और बेलपत्र के साथ ही केले के तना और मंदिर में चढ़ाए गए दूसरे अपशिष्ट पदार्थों से विश्वविद्यालय जैविक खाद तैयार करेगा।
विश्वविद्यालय परिसर में जैविक खाद बनाने की मशीन और पिट लगा हुआ है। पूसा स्थित राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन बाबा गरीबनाथ धाम से एक ट्रैक्टर मंदिर पर फूल और बेलपत्र के अलावा दूसरे अपशिष्ट पदार्थों को ले गया है, जिससे जैविक खाद तैयार करने का काम शुरू होगा। जैविक खाद की मार्केटिंग विश्वविद्यालय करेगा लेकिन जैविक खाद के पैकेट पर बाबा गरीबनाथ धाम के अपशिष्ट का जिक्र होगा। एक नवंबर को जैविक खाद तैयार करने के लिए गरीबनाथ धाम मंदिर न्यास समिति और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ है। एमओयू पर मंदिर न्यास समिति के सचिव एनके सिन्हा और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के कुलपति पीसी श्रीवास्तव ने हस्ताक्षर किया है।
एमओयू के तहत मंदिर पर चढ़ाए गए सभी फूल, बेलपत्र केले की तना सहित दूसरे अवशेषों को विश्वविद्यालय प्रशासन ले जाएगा। उत्तर बिहार के प्रसिद्ध देव स्थानों में शामिल बाबा रीबनाथ धाम मंदिर में साल में 365 ङ्क्षक्वटल से अधिक फूल, बेलपत्र और केले की तना चढ़ावे के बाद जमा होता है। सावन के माह में खासकर सोमवारी के दिन अधिक मात्रा में फूल और बेलपत्र बाबा गरीबनाथ को चढ़ता है। माना जाता है कि 5 ङ्क्षक्वटल के आस-पास ये चढ़ावा सावन के सभी सोमवारी में होता है, लेकिन रोजाना के हिसाब से औसतन एक ङ्क्षक्वटल यह चढ़ावा होता है। मंदिर पर चढ़ाए जाने वाले फूल और बेलपत्र मंदिर प्रशासन के लिए चुनौती बनता जा रहा था। 5 साल पहले तक शहर के बीचो-बीच बहने वाली बूढ़ी गंडक में फूल और बेलपत्र का विसर्जन होता था, लेकिन नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए मंदिर न्यास समिति द्वारा चलाए जा रहे दादर इलाके के डे केयर सेंटर के पास फूल और बेलपत्र का डंपिंग शुरू हुआ, लेकिन कुछ दिनों से वहां भी समस्या आनी शुरू हो गई थी लेकिन पूसा कृषि विश्वविद्यालय के प्रयास से मंदिर प्रशासन की चुनौती अब अवसर में बदल गया है।
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