नई दिल्ली
चिटफंड सेक्टर के सुव्यवस्थित विकास में आ रही अड़चनों को दूर करने और लोगों तक बेहतर वित्तीय पहुंच बनाने के मकसद से लाए गए चिट फंड संशोधन विधेयक 2019 को गुरुवार को संसद की मंजूरी मिल गई। चिटफंड की निवेश सीमा को 3 गुना बढ़ाने और फोरमैन के कमीशन को 7 प्रतिशत करने के प्रावधान वाले इस विधेयक को गुरुवार को राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। लोकसभा इस विधेयक को 20 नवंबर को पारित कर चुकी है। उच्च सदन में इस विधेयक पर हुई चर्चा पर वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर के जवाब के बाद विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई। इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए ठाकुर ने कहा कि गरीबों से जुड़ा पैसा सुरक्षित रहना चाहिए। उन्हें उनका पैसा वापस मिलना चाहिए, इसमें कोई अवरोध नहीं होना चाहिए। ठाकुर ने कहा कि पोंजी और चिटफंड में अंतर है। पोंजी अवैध होता है, जबकि चिटफंड वैध कारोबार है। चिटफंड में निवेश की सीमा बढ़ी उन्होंने कहा कि विधेयक में चिटफंड की निवेश सीमा को तीन गुना बढ़ाने तथा फोरमैन के कमीशन को 7 प्रतिशत करने का प्रावधान किया गया है। गौरतलब है कि फोरमैन का आशय उस व्यक्ति से है जो चिट चलाता है। वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि इसके तहत व्यक्ति के रूप में चिट की मौद्रिक सीमा को 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए किया गया है, जबकि फर्म के लिये इसे 6 लाख रुपए से बढ़ाकर 18 लाख रुपए कर दिया गया है। गौरतलब है कि चिटफंड सालों से छोटे कारोबारों और गरीब वर्ग के लोगों के लिए निवेश का स्रोत रहा है, लेकिन कुछ पक्षकारों ने इसमें अनियमितताओं को लेकर चिंता जताई थी, जिसके बाद सरकार ने एक परामर्श समूह बनाया। 1982 के मूल कानून को चिटफंड के विनियमन का उपबंध करने के लिए लाया गया था। संसदीय समिति की सिफारिश पर कानून में संशोधन के लिए विधेयक लाया गया। उक्त विधेयक पिछली लोकसभा सत्र में पेश किया गया था, लेकिन लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही यह निष्प्रभावी हो गया। विधेयक में चिटफंड की परिभाषा को पूरी तरह से स्पष्ट किया गया है।
चिटफंड सेक्टर के सुव्यवस्थित विकास में आ रही अड़चनों को दूर करने और लोगों तक बेहतर वित्तीय पहुंच बनाने के मकसद से लाए गए चिट फंड संशोधन विधेयक 2019 को गुरुवार को संसद की मंजूरी मिल गई। चिटफंड की निवेश सीमा को 3 गुना बढ़ाने और फोरमैन के कमीशन को 7 प्रतिशत करने के प्रावधान वाले इस विधेयक को गुरुवार को राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। लोकसभा इस विधेयक को 20 नवंबर को पारित कर चुकी है। उच्च सदन में इस विधेयक पर हुई चर्चा पर वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर के जवाब के बाद विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई। इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए ठाकुर ने कहा कि गरीबों से जुड़ा पैसा सुरक्षित रहना चाहिए। उन्हें उनका पैसा वापस मिलना चाहिए, इसमें कोई अवरोध नहीं होना चाहिए। ठाकुर ने कहा कि पोंजी और चिटफंड में अंतर है। पोंजी अवैध होता है, जबकि चिटफंड वैध कारोबार है। चिटफंड में निवेश की सीमा बढ़ी उन्होंने कहा कि विधेयक में चिटफंड की निवेश सीमा को तीन गुना बढ़ाने तथा फोरमैन के कमीशन को 7 प्रतिशत करने का प्रावधान किया गया है। गौरतलब है कि फोरमैन का आशय उस व्यक्ति से है जो चिट चलाता है। वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि इसके तहत व्यक्ति के रूप में चिट की मौद्रिक सीमा को 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए किया गया है, जबकि फर्म के लिये इसे 6 लाख रुपए से बढ़ाकर 18 लाख रुपए कर दिया गया है। गौरतलब है कि चिटफंड सालों से छोटे कारोबारों और गरीब वर्ग के लोगों के लिए निवेश का स्रोत रहा है, लेकिन कुछ पक्षकारों ने इसमें अनियमितताओं को लेकर चिंता जताई थी, जिसके बाद सरकार ने एक परामर्श समूह बनाया। 1982 के मूल कानून को चिटफंड के विनियमन का उपबंध करने के लिए लाया गया था। संसदीय समिति की सिफारिश पर कानून में संशोधन के लिए विधेयक लाया गया। उक्त विधेयक पिछली लोकसभा सत्र में पेश किया गया था, लेकिन लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही यह निष्प्रभावी हो गया। विधेयक में चिटफंड की परिभाषा को पूरी तरह से स्पष्ट किया गया है।
Post a Comment