मुंबई
ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी चिकित्सा सुविधाओं का घोर अभाव है, जिसके चलते गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को जीवन से हाथ धोना पड़ रहा है। पालघर जिले के सूर्यमहल ग्राम पंचायत महिला सदस्य की मौत समय पर एंबुलेंस न मिलने से हो गई है। जानकारी के अनुसार डॉक्टर के गर्भ धारण न करने की सलाह देने के बावजूद महिला ने यह कदम उठाया। इसके साथ ही इमरजेंसी की स्थिति में समय पर एंबुलेंस नहीं पहुंची, जिसकी वजह से महिला को इलाज मिलने में देर हो गई। इसके चलते जच्चा और बच्चा की मौत हो गई।
जनजाति समुदाय की महिला मनीषा धोरे (25) खोडाला के अमले गांव की निवासी थी। सात महीने की गर्भवती मनीषा को 17 नवंबर को प्रसव पीड़ा शुरू होने के बाद एंबुलेंस के लिए फोन किया गया, लेकिन दो घंटे के इंतजार के बाद भी एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंची। जिसके बाद किसी तरह ग्रामीण मनीषा को खोडाला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए। मनीषा की हालत बिगड़ने पर उन्हें नासिक सिविल अस्पताल में भेजा गया लेकिन 18 नवंबर की रात मनीषा के नवजात शिशु की मौत हो गई। अगली सुबह 19 नवंबर को मनीषा की भी मौत हो गई। जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. दयानंद सूर्यवंशी ने सफाई देते हुए कहा है कि महिला को एंबुलेंस की सेवा समय पर नहीं मिल सकी, क्योंकि एक वाहन कोविड-19 ड्यूटी पर था और दूसरा खराब था। मैंने खुद महिला की पांच बार स्वास्थ्य जांच की थी और उन्हें सलाह दी गई थी कि उनकी स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए उन्हें भविष्य में गर्भधारण नहीं करना चाहिए।
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