औरंगाबाद
सरकार भले ही गरीबों को सम्मान जनक जीवन देने के लिए तमाम कल्याणकारी योजनाएं चला रही है, पर अब तक इसका लाभ समाज के अंतिम पंक्ति तक नहीं पहुंच पाया है। सरकार की सहायता व योजनाओं के लाभ से अब भी गरीबों के कई गांव महरूम हैं। जिले के देव प्रखंड के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र के एक दर्जन गांव ऐसे हैं,जहां गरीबी की गोद में गरीबों का जीवन पनप रहा है । गरीबी कितनी भयावह होती है यह आपको यहां पहुंचने पर देखने को मिलेगा। देव प्रखंड के नक्सल प्रभावित पूर्वी केताकी, दुलारे समेत कई पंचायत के ग्रामीणों को सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। दुलारे पंचायत के मंझौली, केवल्हा, भलुआही, झरना, वन-विशुनपुर, दुलारे, छुछिया, गोल्हा गांव के ग्रामीणों की आंख विकास की किरणों के इंतजार में पथरा गयी है। सरकार के तमाम दावे इनके लिए महज सुनहरे सपनों के जैसे है.यही हाल देव प्रखंड के बसडीहा पंचायत के माले नगर की है। इन गांवों में आज तक महादलित परिवार के लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है। सर पर छत की आस लिये इन गरीबों का जीवन आज भी झोंपड़ियों में ही गुजर रहा है। इन गांवों में अलग-अलग जगह पर झोपड़ीनुमा घर बनाकर महादलित परिवार के लोग रह रहे हैं । गांव में पीने के लिए साफ पानी की भी उचित व्यवस्था नहीं है।
न राशन मिलता है न केरोसिन
नक्सल प्रभावित क्षेत्र के गांवों के ग्रामीणों को न राशन मिलता है और न केरोसिन. महादलित परिवार सरकारी योजनाओं से वंचित हैं । विद्यालय दूर होने के कारण छोटे बच्चे पढ़ाई करने नहीं जाते हैं। ग्रामीणों के अनुसार गांव में बिजली नहीं है। यहां लोगों को केरोसिन तेल भी नहीं मिलता है। हालात यह है कि अंधेरे में जीवन कटता है। जंगलों की सूखी लकड़ी से घर का चूल्हा जलता है। इन सभी समस्याओं से कई बार अधिकारियों को रूबरू कराया गया,परंतु कोई लाभ नहीं मिला। जनप्रतिनिधि जब चुनाव आता है तब ही इधर आते हैं ।
चापाकल में लगती है लाइन
बसडीहा पंचायत के माले नगर गांव में करीब 50 घरों की बस्ती पर एकमात्र चापाकल है। पानी के लिए एक ही चापाकल पर ग्रामीणों की लाइन लगी रहती है। ग्रामीण संजय पासवान, डोमन भुइंया, सुनील रिकियासन, राधिका देवी, इंदु देवी, सुनिता देवी ने कहा गर्मी के दिनों में चापाकल सूख जाता है। चापाकल सूख जाने के कारण पानी के लिए हाहाकार मच जाता है।
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