गुवाहाटी
पश्चिम बंगाल के साथ-साथ अगले साल असम में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता अमित शाह बंगाल के साथ-साथ ‘मिशन असम’ की तैयारी में भी जुट गए हैं। असम में आयोजित एक रैली के दौरान विपक्ष पर तो जमकर बरसे ही साथ ही स्थानीय और केंद्र सरकार के कामकागजों का लेखा-जोखा भी दिया। उन्होंने गुवाहाटी के अपने भाषण में अलगाववाद, कोरोना, सीजेआई और भूपेन हजारिका के नाम की भी चर्चा की।
- मैं उन सबसे आज पूछना चाहता हूं कि क्या दिया आपने असम के लोगों को आंदोलन करके। कोई विकास कार्य नहीं हुआ, अगर हुआ तो केवल असम के युवाओं को शहीद करने का काम हुआ। चुनाव का मौसम आने वाला है। फिर से ये अलगाववाद की बात करने वाले चेहरा और रंगरूप सब बदलकर लोगों के बीच मे आएंगे। हमें उल्टा सुलटा समझाएंगे, आंदोलन की दिशा में ले जाएंगे।
- जहां तक भाजपा का सवाल है, असम को इन छह साल के अंदर हमने कभी पराया नहीं समझा। असम को दिल्ली ने प्राथमिकता दी है, नार्थ ईस्ट को प्राथमिकता दी है। हर योजना का फायदा असम और यहां की जनता को पहुंचे इसका प्रयास हमने किया है।
- अभी कुछ लोग कृषि सुधार कानूनों को लेकर बड़ा आंदोलन कर रहे हैं। मैं सभी से इस मौके पर अपील करना चाहता हूं कि आप मुख्यधारा में आइये, सरकार के साथ चर्चा कीजिये और समस्या का समाधान ढूंढ़िए।
- भूपेन हजारिका न केवल असम बल्कि पूरे उत्तर पूर्व के साहित्य और कला के प्रतीक बनकर देश मे रहे हैं। मगर उन्हें कोई सम्मान नहीं मिला। मोदी जी ने भूपेन हजारिका जी को भारत रत्न देकर हमारे साहित्य और कला को आगे बढ़ाने का काम किया है।
- एक जमाने में यहां के सारे राज्यों में अलगाववादी अपना एजेंडा चलाते थे, युवाओं के हाथों में बंदूक पकड़ाते थे। आज वो सभी संगठन मुख्य प्रवाह में शामिल हो गए हैं और आज युवा विश्व भर के युवा के साथ स्पर्धा करके अपने अष्टलक्ष्मी को भारत की अष्टलक्ष्मी बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
- पहले पांच साल में कभी कभार कोई प्रधानमंत्री पूर्वोत्तर में आता था। लेकिन मोदी जी ने छह साल के अंदर स्वयं 30 बार पूर्वोत्तर के दौरा किया है और हर बार तौफा लेकर आये हैं।
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