शीतकाल का उपयोगी फल माना जाता है। वैज्ञानिक वर्गीकरण के अनुसार यह भाजी वर्गÓ का एक फल है। इसका प्रयोग सब्जी के साथ-साथ फल के रूप में समान रूप से होता है। वैसे तो टमाटर वर्ष भर उपलब्ध रहते हैं परंतु इनकी उपयोगिता और उपलब्ध शीतकाल में बढ़ जाती है। टमाटर की मातृभूमि दक्षिणी अमेरिका है परन्तु आज यह संपूर्ण विश्व में सुलभ है। आजकल टमाटर की अनेक उन्नत किस्में पाई जाती हैं। शीतकाल में किचन गार्डन के लिए आर्क्सहट किस्म अच्छी रहती हैं। इसके फल आकार में बड़े, मीठे तथा कम बीजों वाले होते हैं।
शीतकाल में शरीर की वायु कुपित हो जाती है। टमाटर उत्तम वायुनाशक है, इस कारण यह शीतकाल में विशेष उपयोगी है।
आहार में टमाटर का जूस, सूप, सलाद आदि के रूप में विधिपूर्वक सेवन करना चाहिए। पके हुए लाल टमाटर अग्निदीपक, पाचक, रूचिकर, बल एवं रक्तवर्धक लघु, उष्ण, स्निग्ध और उत्तम रक्तशोधक होते हैं। उपरोक्त गुणों के साथ-साथ इसमें विटामिन ए, बी, सी तथा लोहा प्रचुर मात्र में होता है। टमाटर में त्वचा संबंधी नाना प्रकार के विटामिन, साइट्रिक एसिड, लवण, पोटाश, चूना, मैगनीज, खनिज, क्षार आदि विद्यमान होने के कारण टमाटर एक प्रकार से सौन्दर्य विशेषज्ञ भी है।
टमाटर के सूप में काली मिर्च डालकर नियमित पीने से कब्जियत दूर होती है जिससे चेहरे पर चमक और शरीर में चुस्ती बरकरार रहती है।
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