जयपुर
राजस्थान में सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने पंचायत समिति और जिला परिषद प्रमुखों के चुनाव में क्षेत्रीय दलों को दूर रखने के लिए हाथ मिला लिया है। डूंगरपुर जिला परिषद चुनाव में भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के उम्मीदवार को हराने के लिए कांग्रेस ने निर्दलीय के रूप में नामांकन कराने वाले भाजपा नेता का समर्थन कर दिया। इससे पहले बीटीपी ने प्रदेश में राजनीतिक संकट और
राज्यसभा चुनाव के दौरान गहलोत सरकार का साथ दिया था।
डूंगरपुर जिला परिषद की कुल 27 सीटों में से 13 पर बीटीपी का समर्थन प्राप्त उम्मीदवार जीते हैं, जबकि भाजपा को आठ और कांग्रेस को छह सीटें मिली हैं। कांग्रेस और भाजपा ने सूर्य अहारी का समर्थन किया और वह जिला प्रमुख चुने गए। इसी तरह नागौर जिले में खिनवसर पंचायत समिति चुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने साथ आकर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के उम्मीदवार को हरा दिया। आरएलपी, भाजपा की सहयोगी पार्टी है। भाजपा और कांग्रेस ने यहां हाथ मिलाकर एक निर्दलीय उम्मीदवार को जिला परिषद का प्रमुख बना दिया। आरएलपी को यहां 31 में से 15 सीटें मिली थीं, कांग्रेस को आठ, भाजपा ने पांच और तीन निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे। 16 वोटों के साथ सीमा चौधरी ने यहां जीत हासिल की।
चुनाव में धोखे से आहत बीटीपी प्रमुख छोटूबाई वासवा ने एलान किया है कि उनकी पार्टी कांग्रेस से अपना समर्थन वापस लेगी। उन्होंने ट्वीट किया, 'भाजपा-कांग्रेस एक ही है। बीटीपी अपना समर्थन वापस लेगी'। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा के कार्यकर्ताओं को बधाई दें, उनका रिश्ता अब तक गोपनीय था जो सामने आ चुका है। आरएलपी चीफ और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा है कि कांग्रेस और भाजपा के अपवित्र गठबंधन को देखने के बाद उनकी पार्टी भाजपा के साथ रिश्ते पर विचार कर रही है। आरएलपी चीफ हनुमान बेनीवाल ने कहा, 'आरएलपी से डरकर दोनों पार्टियां एक निर्दलीय उम्मीदवार के समर्थन में आ गईं। हमारे उम्मीदवार नौ जिला परिषदों में जीते। हमने कभी कोई समझौता नहीं किया, लेकिन हमें हराने के लिए कांग्रेस और भाजपा साथ आ गईं। हम भाजपा के साथ अपने गठबंधन पर दोबारा विचार करेंगे'।
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