गाजीपुर
जम्मू-कश्मीर में हमें जो दायित्व दिया गया है, उसका पूरी तरह निर्वहन होगा। कोई ऐसा काम नहीं होगा जिससे जनपद का नाम कलंकित हो। इन दिनों वहां पंचायत का चुनाव हो रहा है। दो चरणों का चुनाव हो चुका है और छह चरणों के चुनाव होना अभी भी बाकी है। यह बड़ी परीक्षा है और मेरा वहां होना जरूरी है। ये बातें बुधवार को सायंकाल गाजीपुर के लंका मैदान में आयोजित अभिनंदन समारोह में जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने कही। कहा कि वहां एक नए प्रकार का विश्वास लोगों में जगा है। 111 दिनों में जो मैंने अनुभव किया है, उसमें पाया कि वहां प्रतिभाओं की कमी नहीं है। उन्हें सामने लाने की जरूरत है। जिस विश्वास के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह ने हमे जिम्मेदारी दी है। उसे निभाने का काम करूंगा। एलजी का पदभार ग्रहण करते वक्त हमें बताया गया था कि यह जिम्मेदारी काफी चुनौतीपूर्ण है, लेकिन बचपन से लेकर अब तक मैं चुनौतियों का सामना करता रहा हूं। कहा कि मैं जब 24 साल का था तब बीएचयू छात्रसंघ का अध्यक्ष हुआ करता था। उसी समय मेरे पिता जी का सिर से साया उठ गया था।मुझे याद है 28 दिसंबर 1982 का दिन जब कलराज मिश्र मेरे घर आए हुए थे और उसी समय हमे एक नई जिम्मेदारी देने का काम किया गया था। तब घर पहुंचे विजयशंकर राय ने मुझसे कहा था बाबर की हत्या जब हुई थी, तब अकबर 14 साल का था।
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