इंगलेंड में सामने आयी कोरोना की नयी स्ट्रेन ने पूरी दुनिया में हडकंप मचा दिया है. स्वाभाविक है कि हमारे देश और राज्यों में भी उसे लेकर सारी सावधानियां बरती जा रही हैं. इंग्लैंड से आने वाली फ्लाइट्स पर रोक लगाई जा रही है. उसके पहले आ चुके या आ रहे लोगों को क्वारंटाइन किया जा रहा है. संक्षेप में हर वह कदम उठाया जा रहा है जिससे राज्य और मुंबई महानगर में महामारी की स्थिति में जो सुधार दृष्टिगोचर हो रहा है, और जन जीवन जो धीरे-धीरे पटरी पर आ रहा है वह फिर पटरी से उतर न जाय. इसी नाते राज्य में रात के कर्फ्यू की घोषणा हुई है. सरकार की ओर से महामारी को रोकने के लिए जो कुछ भी किया जा रहा है जनता के हित में है. मास्क लगाना, भीड़ न करना, समय-समय पर हाथ धोना और एक दूसरे के बीच दूरी रखना आदि जो नियम बनाये गए हैं उसी का प्रतिफल है कि महामारी नियंत्रित होती दिख रही है, यह राहत की बात है. यही कारण है कि लोगों को आवश्यक आवाजाही की छूट मिली और आर्थिक गतिविधियां शुरू हो पायीं. पूरे देश सहित राज्य में इन नियमों का सही ढंग से पालन हुआ और लोगों ने अनुशासित व्यवहार किया तो उसी का परिणाम है कि दुनिया के कई देशों से हमारी स्थिति काफी अच्छी रही है. विशेषज्ञों का भी मानना है कि यदि व्यक्ति मास्क पहनता है तो उसके संक्रमित होने की सम्भावना 70 प्रतिशत कम हो जाती है. बावजूद इसके लोगों द्वारा मास्क पहनने को लेकर कहने पर सरकारी कर्मियों से उलझना या मार पीट तक बात पहुच जाना सर्वथा अनुचित, निंदनीय और अपने ही पैरों पर कुठाराघात करने के समान है. यह लज्जास्पद बात है कि लोगों को यह महामारी प्रकाश में आने के लगभग साल भर बाद भी यह बताना पड़े कि आपको मास्क पहनना जरूरी है और ऐसा करने के लिए उन पर जुर्माने लगाना पड़े. जबकि उन्हें तो मास्क लगाने के लिए कहने वाले व्यक्ति का आभार मानना चाहिए और लापरवाही या अनदेखी के लिए क्षमा मांगनी चाहिए. वैसा ना कर उनसे उलझना या उनके साथ हाथापाई पर उतर जाना उन्हें सख्त करवाई का पात्र बनाती है, यह तो बेहयाई की इन्तहा है. तो अभी भी इस तरह के जो नादान हमारे समाज में घूम रहे है और अपनी लापरवाही से अपना ही नहीं बल्कि अपनों का और उनके आस-पास रहने वाले लोगों, सबका जीवन खतरे में डालते है, उन्हें अपनी निश्चिंतता व बेरुखी का बाना उतार फेंकना चाहिए और इस महामारी से बचने के जो भी मार्ग बताये जा रहे है उनका कठोरता से पालन करना चाहिये. देश की तरह महाराष्ट्र ने भी अब तक इस महामारी के साथ लड़ाई में सराहनीय भूमिका अदा की है. तो अब जब लड़ाई निर्णायक दौर में है हम ऐसा कुछ न करें जो प्रधानमंत्री मोदी हमें पहले ही चेता चुके है, कि हम ऐसी स्थिति न लायें कि यह कहावत को चरितार्थ करे कि ‘हमारी कश्ती वहां डूबी जहां पानी बहुत कम था.’
इस लिए हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह अपने दैनिक क्रियाकलापों का संपादन कोरोना से बचने और उसके प्रसार में सहायक न बने इसके लिए जो मापदंड तय है उनका तंतोतंत अनुपालन करते हुए करें. हमने यह सब किया है तभी आज हमारी स्थित दुनिया के अधिकांश राष्ट्रों और अपने आपको विकसित मानने वाले राष्ट्रों से ठीक है. हम ऐसा कुछ न करें जिससे स्थिति खराब हो और जो ऐसा करते पायें जाएं जिससे संक्रमण फैल सकता है तो उसे भी समझाएं और यदि वह इस पर भी न माने तो फिर उसे संबंधित अधिकारियों के हवाले कर दें. कारण जो इतना नादान है िक अपना भी भला नही सोंच सकता तो उसे समझाने के लिए कड़े रास्ते भी अख्तियार करना सबन्धित सरकारी एजेंसियों का कर्तव्य है. कोई सरफिरा कई लोगों की जान जोखिम में न डाल सके इसकी खबरदारी लेना जरूरी है.
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