महाराष्ट्र मेडिकल कॉउंसिल का आदेश
मुंबई
महाराष्ट्र मेडिकल कॉउंसिल (एमएमसी) ने एमबीबीएस डॉक्टरों के लिए नया आदेश जारी किया है। आदेश के मुताबिक किसी को भी होम्योपैथी और यूनानी डाक्टरों के साथ प्रोफेशनल रिश्ते बनाने से मना किया गया है। इस आदेश के चलते अब एमबीबीएस डॉक्टर राज्य में होम्योपैथी और आयुर्वेदिक डॉक्टरों के साथ मिलकर काम नहीं कर सकते हैं. ऐसा करने पर दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी ।
सर्कुलर जारी करते हुए महाराष्ट्र मेडिकल कॉउंसिल ने कहा है कि बीएएमस डॉक्टर या बीयूएमएस डॉक्टर के साथ काम किया तो उसके सस्पेंशन से लेकर सर्टिफिकेट रद्द होने की कार्यवाई हो सकती है। कहा जा रहा है कि मेडिकल कॉउंसिल ने ये फैसला आयुर्वेद की डिग्री लेने वाले डॉक्टरों को सर्जरी की इजाजत देने के बाद किया है। महाराष्ट्र के कुछ डॉक्टरों का कहना है कि ये कोई नया आदेश नहीं बल्कि सिर्फ एक बार फिर से एमबीबीएस डॉक्टरों ने नियम याद दिलाए गए हैं। पिछले महीने आयुष मंत्रालय के तहत आने वाले सेंट्रल काउंसिल आॅफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया था कि आयुर्वेद के डॉक्टर भी अब जनरल और आॅथोर्पेडिक सर्जरी के साथ आंख, नाक, कान और गले की भी सर्जरी कर सकेंगे। सरकार के इस फैसले के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने 12 घंटे का हड़ताल भी किया था।
आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी की इजाजत
बता दे कि आयुर्वेद छात्रों को अब तक सर्जरी के बारे में पढ़ाया तो जाता था, लेकिन सर्जरी करने के बारे में कोई स्पष्ट गाइड लाइन नहीं थी । अब सरकार ने नोटिफाई कर दिया है कि आयुर्वेद के डॉक्टर आंख, नाक, कान, गले (ईएनटी) के साथ ही जनरल सर्जरी कर सकेंगे, जिसके लिए उन्हें स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी। भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद के मुताबिक सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद आयुर्वेद में पीजी के स्टूडेंट्स को सर्जरी के बारे में गहन जानकारी दी जाएगी । बताया जा रहा है कि यह फैसला सरकार ने देश में सर्जनों की कमी को दूर करने के मकसद से लिया है।
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