मुंबई
मुंबई में लगातार कोरोना दम तोड़ता नजर आ रहा है, इस बीच धारावी से भी अच्छी खबर आ रही है। अप्रैल माह के बाद शुक्रवार को पहली बार धारावी में कोरोना का कोई भी मरीज नहीं मिला है।
एशिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी धारावी में कोरोना फैलने के बाद हाहाकार मच गया था। यहां कोरोना का फैलाव होने से विकराल रूप धारण करने की आशंका प्रकट की गई थी। अप्रैल महीने के बाद धारावी में शुक्रवार को कोरोना का कोई भी मरीज नहीं मिलने से मनपा अधिकारियों और स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली है। हालांकि मनपा प्रशासन ने लोगों से मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील की है।
मार्च माह में धारावी में कोरोना का पहला मामला सामने आया था। इसके बाद यहां लगातार मरीजों की संख्या बढ़ने लगी। इस परिसर में कोरोना फैलने के बाद जी नार्थ वार्ड के सहायक आयुक्त किरण दीघावकर ने अपनी पूरी टीम के साथ महामारी से निपटने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। उनकी टीम को अच्छा सहयोग मिला। दीघावकर ने कोरोना मरीजों को विलगीकरण से लेकर उन्हें हर प्रकार की सुविधा मुहैया कराने पर भी विशेष ध्यान दिया। मरीजों को इलाज की सुविधा देने के साथ-साथ उनका मानसिक तनाव दूर करने का प्रयास किया गया। जिसका फायदा यह हुआ कि मरीज की संख्या में गिरावट तो हुई ही, साथ ही साथ मृतकों की संख्या में भी कमी आने लगी। कोरोना को काबू में लाने के लिए धारावी में विशेष मॉडल अपनाया गया। इस विशेष मॉडल की विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने भी सराहना की।
धारावी में पिछले एक महीने से कोरोना का असर कम होता दिखाई देने लगा। यहां मरीजों की संख्या इकाई में आ गई थी, तभी से यह लगने लगा था कि धारावी में कोरोना दम तोड़ रहा है। शुक्रवार को धारावी में कोरोना का एक भी मरीज नहीं मिलने से मनपा प्रशासन और आम जनता ने राहत की सांस ली है। हालांकि ब्रिटेन में कोरोना की नए वेरिएंट मिलने से प्रशासन अभी सर्तक है। धारावी में अब मात्र 12 मरीज कोरोना संक्रमित बचे हैं। जिसमें से 8 होम कोरेंटाइन हैं, जबकि मात्र 4 मनपा के सीसीसी 2 में भर्ती है। धारावी में ऐसा कोई भी मरीज नहीं बचा है, जिसकी हालत गंभीर हो।
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