कांजुरमार्ग मेट्रो कारशेड प्रोजेक्ट पर लगाई रोक
मुंबई
बॉम्बे हाईकोर्ट से उद्धव सरकार को एक बड़ा झटका लगा है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की खंडपीठ ने एकीकृत मेट्रो कार शेड के निर्माण के लिए कांजुरमार्ग क्षेत्र में 102 एकड़ साल्ट पैन भूमि आवंटित करने के मुंबई उपनगरीय जिलाधिकारी के आदेश पर रोक लगा दी है। बुधवार को हाईकोर्ट ने कांजुरमार्ग में प्रस्तावित मुंबई मेट्रो कार शेड प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट का ये फैसला महाराष्ट्र सरकार के लिए झटका इसलिए है,क्योंकि उद्धव सरकार ने बीते अक्टूबर में आरे मेट्रो कार शेड प्रोजेक्ट को कांजूरमार्ग शिμट कर दिया था।
कारशेड निर्माण के लिए 102 एकड़ भूमि का आवंटन
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण को अपना स्टेटस मेंटन रखने को कहा है। इससे पहले सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से मुंबई उपनगरीय जिला कलेक्टर द्वारा पारित आदेश को वापस लेने पर विचार करने के लिए कहा था, जिसमें मेट्रो कार शेड के निर्माण के लिए 102 एकड़ भूमि का आवंटन किया गया था। बुधवार को राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा कि वो अपने आदेश को वापस लेने के लिए तैयार थी, जो उसने 15 अक्टूबर को दिया था।
मुंबई कलेक्टर के फैसले पर उठे थे सवाल
कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का कहना था कि मुंबई कलेक्टर का फैसला नियम के हिसाब से नहीं है, इसलिए इसे रद्द किया जाए। वहीं कोर्ट में प्राइवेट डेवलपर गोराडिया ने भी राज्य सरकार की भूमिका का विरोध किया था और मांग की थी कि कलेक्टर का फैसला रद्द किया जाए और कांजुरमार्ग मेट्रो कार शेड पर चल रहे काम को तुरंत रोकना चाहिए।
अहंकार छोड़े सरकार: फड़नवीस
बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा कारशेड के निर्माण के लिए साल्ट पैन स्थित भूमि के आवंटन पर बुधवार को रोक लगाने पर पूर्व सीएम एवं नेता विपक्ष देवेंद्र फड़नवीस ने राज्य सरकार से कहा है कि वह अपने ‘अहं’ को छोड़ दे और आरे कॉलोनी की जमीन पर निर्माण फिर से शुरू करे। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे सरकार ने सिर्फ अपने अहं को संतुष्ट करने के लिए कार शेड को आरे कॉलोनी से कांजुरमार्ग में स्थानांतरित कर दिया था। मनोज सौनिक समिति ने भी कहा था कि अगर मेट्रो कारशेड को कंजुरमार्ग में स्थानांतरित किया जाता है तो इससे राज्य को 5,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ सकता है।
सहयोगियों से चर्चा के बाद निर्णय: अजीत पवार
राज्य के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने भी अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री, महाविकास आघाड़ी, अधिकारियों, कानून विभाग और महान्यायवादी के साथ चर्चा करने के बाद आगे के लिए निर्णय लेंगे। हम कानून और नियमों को बनाए रखने में सकारात्मक भूमिका निभाएंगे। अदालत के आदेश के खिलाफ अपील करना हमारे कानून, नियमों और संविधान में है। हम इस पर विचार करेंगे कि काम शुरू करने के लिए क्या किया जाना चाहिए।
अदालत के आदेश का अध्ययन करेंगे: आदित्य ठाकरे
कांजुरमार्ग में प्रस्तावित कारशेड निर्माण पर मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए रोक पर राज्य के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने कहा कि मेट्रो मार्ग के लिए भूमि महत्वपूर्ण थी। हम अगली कार्रवाई का फैसला करने के लिए अदालत से विस्तृत लिखित आदेश का इंतजार कर रहे हैं।यह भूमि मेट्रो-3 के साथ-साथ 6, 4 और 14 के लिए महत्वपूर्ण है।जिससे सरकारी खजाने का 5,500 करोड़ रुपये बचेगा और एक करोड़ लोग इससे लाभान्वित होंगे।
न्यायालय के आदेश से जनभावना को ठेस : निरुपम
सामान्य जनता की भावना थी कि आरे कॉलोनी में मेट्रो कारशेड नहीं बनना चाहिए। इसलिए कांजुर मार्ग मेट्रो कारशेड के लिए बेहतर विकल्प था. लेकिन उच्च न्यायालय ने कांजुर मार्ग में प्रस्तावित मेट्रो कारशेड पर काम स्थगित करके सार्वजनिक जनता की भावना की अवहेलना की है। न्यायालय के निर्णय पर नाराजगी व्यक्त करते हुए निरुपम ने कहा कि यह सरकार का काम है कि योजना के साथ आना और इसे लागू करना। विकास कार्यों को किसी तरह रोका नहीं जाना चाहिए।
अधर में निर्माण, रोज पांच करोड़ का नुकसान
कांजुरमार्ग के कारशेड के काम पर रोक लगने के फैसले से ने मेट्रो3 (कोलाबा-बांद्रा-सीप्ज) भूमिगत परियोजना के भाग्य के बारे में अनिश्चितता पैदा कर दी है। जानकार बताते हैं कि कारशेड का काम रुकने से रोज पांच करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। मुंबई मेट्रो रेल कॉपोर्रेशन (एमएमआरसी) 32.5 किलोमीटर लंबी भूमिगत परियोजना पर काम कर रहा है। आरे से बीकेसी सितंबर 2022 तक और मार्च 2023 आरे कॉलोनी से कोलाबा तक पूरे कॉरिडोर को तैयार करने की एमएमआरडीए ने मेट्रो डेक 3 और मेट्रो 6 (लोखंडवाला से विक्रोली) के लिए इस्तेमाल किए जा रहे निचले डेक और4(वडाला-कासारवडवली) और लाइन 14(बदलापुर-कांजुरमार्ग) सहित अन्य मेट्रो लाइनों के लिए ऊपरी डेक का इस्तेमाल करने की योजना बनाई थी। एमएमआरसी ने इन दोनों परियोजनाओं का 85 प्रतिशत से अधिक सुरंग निर्माण कार्य और लगभग 62 प्रतिशत सिविल वर्क पूरा कर लिया है। यदि कारशेड का स्थान नहीं बदला गया होता, तो यह परियोजना तीन वर्षों में तैयार हो जाती।
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