नई दिल्ली
इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को पाकिस्तानी जेलों में बंद भारतीय नागरिकों के मामलों में से एक केस की सुनवाई की। ये केस भारतीय उच्चायोग की ओर से दायर एक याचिका से संबंधित है, जिसमें उन भारतीय नागरिकों का मुद्दा उठाया गया है जो अपनी सजा पूरी कर चुके हैं, उसकी राष्ट्रीयता की पहचान हो चुकी है, फिर भी वे पाकिस्तानी जेलों में बंद हैं और उन्हें छोड़ा नहीं गया है। ये केस कुलभूषण जाधव से संबंधित नहीं था। लेकिन एक और निराशा भरा कदम उठाते हुए पाकिस्तान इस केस को भी जाधव मामले से जोड़ने की कोशिश कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान इस भारतीय नागरिक के केस को कुलभूषण जाधव केस से जोड़ने और अन्य सभी मामलों को जाधव केस की सुनवाई से जोड़ने की कोशिश कर रहा है। यह पाकिस्तान की एक और चाल है, जिसके जरिये पाकिस्तान भारतीय मिशन को सुनवाई के दौरान उपस्थित होने और कार्यवाही में शामिल करने का प्रयास कर रहा है।
इसके पहले भारत ने ये स्पष्ट कर दिया था कि जब तक पाकिस्तान जाधव केस से संबंधित सभी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराता और क्वींस काउंसिल को जाधव का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति नहीं देता है, तब तक भारतीय पक्ष पाकिस्तानी अदालत में किसी भी समीक्षा याचिका की सुनवाई में हिस्सा नहीं लेगा। गौरतलब है कि भारत ने कुलभूषण जाधव के लिए क्वींस काउंसिल को दलीलें देने की अनुमति देने की मांग की थी। क्वींस काउंसल ब्रिटेन की महारानी का प्रतिनिधित्व करने वाला अधिवक्ता होता है। कुलभूषण जाधव केस के सवाल पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने 19 नंवबर को कहा था कि पाकिस्तान एक ऐसा वातावरण प्रदान करने में विफल रहा है, जिसमें जाधव के खिलाफ लगाए गए आरोपों को गंभीरता से और प्रभावी ढंग से चुनौती दी जा सके।
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