याचिका पर सुनवाई पूरी, सात जनवरी को फैसला
मुंबई
विधान परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में मनोनीत की गई शिवसेना की नेता नीलम गोऱ्हे की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई मंगलवार को पूरी हो गई। न्यायमूर्ति नितिन जामदार और मिलिंद जाधव की पीठ ने फैसले के लिए सात जनवरी की तारीख तय की है। इस सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने स्पष्ट किया कि विधान परिषद में मतदान करना, चुनाव लड़ना या किसी सदस्य को मंजूरी देना अन्य सदस्यों का संवैधानिक अधिकार नहीं है। यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला है। इसलिए याचिकाकर्ताओं का दावा यहां साबित नहीं हुआ है। साथ ही यहां किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया गया है। इसलिए कोरोना की पृष्ठभूमि के खिलाफ लिया गया निर्णय सही है। बीजेपी विधायक गोपीचंद पाडलकर ने बंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर नीलम गोऱ्हे की नियुक्ति को चुनौती दी है। याचिका में मुख्य आरोप लगाया गया है कि विधान परिषद के उपाध्यक्ष के पद के चुनाव प्रक्रिया में विधानसभा के नियमों का उल्लंघन करते हुए उनकी नियुक्ति की गई है। उप सभापति के चुनाव की प्रक्रिया अगस्त 2020 में शुरू हुई थी।
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