30 दिसंबर को सरकार और किसान में बातचीत तय
नई दिल्ली
नए कृषि कानून को लकर दिल्ली बॉर्डर पर किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी बीच केंद्र सरकार ने किसानों के साथ अगली बैठक के लिए 30 दिसंबर को बुलाया है। सरकार द्वारा मिली जानकारी के अनुसार यह बैठक विज्ञान भवन में दोपहर दो बजे से की जाएगी। इस दौरान सरकार के कई बड़े मंत्री मौजूद रहेंगे।
कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने संयुक्त किसान मोर्चा को पत्र लिखकर बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। अब तक केंद्र और 40 प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच पांच दौर की औपचारिक बातचीत बेनतीजा रही है। बातचीत को फिर से शुरू करने के लिए यूनियनों के प्रस्ताव पर ध्यान देते हुए। कृषि मंत्रालय के सचिव अग्रवाल ने कहा कि सरकार स्पष्ट इरादे और खुले दिमाग के साथ सभी प्रासंगिक मुद्दों पर एक तार्किक समाधान खोजने के लिए भी प्रतिबद्ध है।
मंत्री ने जताई निराशा
मंत्री ने निराशा जताई कि कुछ लोगों ने आंदोलनकारी किसानों के दिलों में ‘‘सुनियोजित तरीके से गलतफहमी पैदा कर दी है।’’ बहरहाल, सरकार इस तरह के किसान संगठनों के साथ लगातार वार्ता कर रही है।
उन्होंने कहा कि नये कृषि कानूनों के लाभ किसानों तक पहुंचने शुरू हो गए हैं। कई किसान इन कानूनों के बारे में ‘‘सकारात्मक सोचने’’ लगे हैं, लेकिन किसानों के कुछ धड़े में ‘‘भ्रम’’ बना हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि हम इन चिंताओं को दूर करने में सफल होंगे।’’तोमर ने कहा कि सरकार लोकतांत्रिक ढांचे के तहत वार्ता के लिए हमेशा तैयार है और तैयार रहेगी।
सरकार का मानना है कि मुद्दों के समाधान के लिए वार्ता ही एकमात्र हथियार है। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस पर जोर दे रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि 1990 में आर्थिक उदारीकरण के बाद से कृषि क्षेत्र में सुधार की चर्चा चल रही थी।
मंत्री ने कहा कि कई समितियों का गठन हुआ और देश भर में विचार-विमर्श हुआ। पूर्ववर्ती सरकारों ने भी चर्चा की और सहमति तक पहुंचे लेकिन किसी तरह से इसे लागू नहीं किया। उन्होंने कहा कि लेकिन मोदी सरकार ने पहल की और तीनों कृषि कानूनों को लागू किया, जिसे संसद के दोनों सदनों में चार घंटे की चर्चा के बाद पारित किया गया। कृषि मंत्री ने कहा, ‘‘मैं खुश हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भविष्य को ध्यान में रखते हुए कृषि कानूनों के माध्यम से आंदोलनकारी बदलाव लाए हैं। मुझे विश्वास है कि इन कानूनों से देश भर के गरीब, छोटे और सीमांत किसानों को फायदा होगा।’’
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