लंदन
भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ बैंक्रप्सी आवेदन पर सुनवाई के लिए भारतीय बैंकों ने लंदन में हाई कोर्ट का रुख किया है। माल्या की बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस को दिए कर्ज की वसूली के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अगुआई में भारतीय बैंकों के कंसोर्टियम ने याचिका दी है। चीफ इंसॉल्वेंसी एंड कंपनीज कोर्ट (आइसीसी) जज माइकल ब्रिग्स के समक्ष सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने विशेषज्ञ गवाहों के तौर पर भारतीय सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को पेश किया। बैंकों ने कहा कि उन्हें इस मामले में भारतीय परिसंपत्तियों पर दी गई सिक्योरिटी को छोड़ने का अधिकार है। सिक्योरिटी छोड़ने के बाद बैंक लंदन में माल्या की संपत्ति से कर्ज की वसूली कर सकेंगे। वहीं माल्या के वकील की दलील है कि भारत में सरकारी बैंकों का पैसा निजी नहीं, बल्कि सार्वजनिक संपत्ति है। ऐसे में उन्हें सिक्योरिटी छोड़ने का अधिकार नहीं है। बैंकों की ओर से बैरिस्टर मार्सिया शेकरडेमियन ने कहा, 'एक वाणिज्यिक इकाई होने के नाते यह बैंकों का अधिकार है कि वे अपने पास रखी गई सिक्योरिटी को लेकर क्या फैसला लेते हैं।' इस मामले में मार्सिया ने वीडियो लिंक के जरिये माल्या की ओर से पेश हुए रिटायर्ड जस्टिस दीपक वर्मा सवाल पूछे। जस्टिस वर्मा का कहना है कि भारतीय बैंक अपनी सिक्योरिटी छोड़कर ब्रिटिश कानून के हिसाब से बैंक्रप्सी ऑर्डर के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं। वहीं बैंकों की तरफ से रिटायर्ड जस्टिस गोपाला गौड़ा ने कहा कि अपना बकाया वसूलने के लिए बैंकों के पास सिक्योरिटी छोड़ने का पूरा अधिकार है।
इन बैंकों ने दी है याचिका
एसबीआई की अगुआई में कुल 13 भारतीय बैंकों ने माल्या के खिलाफ याचिका दी है। इनमें बैंक ऑफ बड़ौदा, कॉरपोरेशन बैंक, फेडरल बैंक, आइडीबीआइ बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, जम्मू एंड कश्मीर बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंका ऑफ मैसूर, यूको बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और जेएम फाइनेंशियल एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।
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