नई दिल्ली
किसान नेताओं और सरकार के बीच मंगलवार को गतिरोध तोड़ने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में किसान नेताओं के साथ अहम बैठक हुई। घंटों चली इस बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि सरकार उन्हें संबंधित कृषि कानून पर आज एक प्रस्ताव देगी और उस पर किसानों की बैठक में चर्चा की जाएगी।
कृषि कानूनों पर फैसले के आसार नजर आ रहे हैं, क्योंकि 12 दिन से आंदोलन कर रहे किसान नेताओं से पहली बार गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को मुलाकात की। आईसीएआर भवन में चली इस मीटिंग में 13 किसान नेता पहुंचे। बैठक के बाद किसान नेता हनन मुला ने बताया कि गृह मंत्री ने कृषि कानून पर कल लिखित प्रस्ताव देने का आश्वासन दिया है। उन्होंने बताया कि सरकार कानून वापस लेने के लिए तैयार नहीं है। फिलहाल आज सरकार के साथ होने वाली छठवें दौर की बातचीत टल गई है। वहीं, आज सुबह केंद्रीय कैबिनेट की बैठक भी बुलाई गई है।
बैठक से पहले किसानों का कहना था कि कोई बीच का रास्ता नहीं है। हमें गृह मंत्री से हां या ना में जवाब चाहिए। टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने कहा था कि कानून वापसी से कम कुछ मंजूर ही नहीं है। लेकिन बैठक में यह साफ हो गया है कि सरकार कृषि कानून को रद्द करने को तैयार नहीं है। अपनी तरफ से वह लिखित प्रस्ताव किसानों को देगी और उसपर चर्चा करके किसान कानून में संशोधन की अनुशंसा करेंगे। उसके बाद सरकार उस पर विचार करेगी।
कृषि कानूनों को रद्द करने को लेकर जहां किसान संगठन आंदोलन कर रहे हैं, वहीं सरकार के पास कई संगठनों की ओर से कानूनों को किसान हित में बताकर जारी रखने की अपील की जाने लगी है। सरकार इन संशोधनों के सहारे आंदोलन कर रहे किसानों को राजी करा सकती है। भारत बंद के कमजोर प्रभाव को देखते हुए किसान संगठनों का रुख नरम हो सकता है।
किसानों का बंद रहा बेअसर
किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद को आशातीत सफलता नहीं मिल सकी है। देश के कुछ राज्यों में बंद का मिलाजुला असर देखने को मिला जबकि कई राज्यों में किसानों का भारत बंद पूरी तरह बेअसर रहा। किसानों के बहाने भाजपा विरोधी दलों ने केंद्र सरकार पर हमला बोला। लेकिन सरकार का मजबूत पक्ष रखने के लिए कई केंद्रीय मंत्रियों ने मोर्चा संभाला।
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