30 साल में पहली बार खरीदा चावल
नई दिल्ली
लद्दाख सीमा पर टकराव के बाद भारत ने चीन के खिलाफ एक के बाद एक सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए। केंद्र की मोदी सरकार ने जहां एक तरफ बीजिंग से कई समझौते खत्म कर दिए तो दूसरी तरफ सैकड़ों मोबाइल ऐप्स पर बैन लगाकर तगड़ा आर्थिक नुकसान पहुंचाया। वहीं, भारतीय कारोबारियों ने भी फेस्टिव सीजन में चीन को 40 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का झटका दिया। इस सबके बीच दुनिया के सबसे बड़े चावल आयातक चीन को आपूर्ति संकट के कारण आखिर में भारत के सामने झुकना पड़ा है। बीजिंग ने 30 साल में पहली बार दुनिया के सबसे बड़े निर्यातक भारत से चावल खरीदा है।
क्वालिटी के मुद्दे पर इंकार करता रहा है चीन
चीन हर साल अलग-अलग देशों से 40 लाख टन चावल का आयात करता रहा है, लेकिन भारत से गुणवत्ता के मुद्दे पर चावल खरीदने से इंकार करता रहा है। कोरोना वायरस के कारण इस बार दुनियाभर में चीन के खिलाफ माहौल बना हुआ है। ऐसे में चावल आपूर्ति के संकट के कारण उसने करीब 30 साल बाद भारत के साथ चावल खरीद का सौदा किया है। खास बात ये है कि उसने ये सौदा ऐसे समय में किया है, जब दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव चरम पर है। चावन निर्यातक संगठन के अध्यक्ष बीवी कृष्ण राव ने कहा कि चीन ने पहली बार भारत से चावल खरीदा है। उम्मीद है कि बीजिंग भारतीय चावल की अच्छी क्वालिटी को देखकर अगले साल ज्यादा चावल आयात करेगा।
300 डॉलर प्रति टन की कीमत पर हुए सौदे
भारतीय कारोबारियों ने चीन के साथ दिसंबर-फरवरी शिपमेंट्स के लिए 1,00,000 टन टूटे चावल का सौदा किया है। राव ने बताया कि ये सौदा करीब 300 डॉलर प्रति टन की दर पर किया गया है। इस बार चीन को हमेशा आपूर्ति करने वाले देश थाइलैंड, वियतनाम, म्यांमार और पाकिस्तान के पास निर्यात के लिए सीमित चावल है। वहीं, ये देश भारत के मुकाबले करीब 30 डॉलर प्रति टन ज्यादा की दर से सौदे की पेशकश कर रहे थे। बता दें कि साल 2020 के शुरुआती 10 महीनों में भारत का चावल निर्यात 1.19 करोड़ टन रहा है, जो पिछले साल 8 3.40 लाख टन रहा था।
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