नई दिल्ली
पूरी दुनिया में कोरोना वायरस वैक्सीन का शिद्दत से इंतजार हो रहा है। कुछ देशों में वैशिन शुरू भी हो चुका है तो ज्यादातर देशों में अगले साल के शुरुआत में वैक्सीन लगाए जाने को लेकर जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। लेनि दुनिया की सबसे बड़ीवैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ आदर पूनावाला को एक अलग ही डर सता रहा है।
पूनावाला ने आशंका जताई है कि वैक्सीन के संभावित साइडइफेक्ट्सको लेकर वैक्सीन कंपनियों के खिलाफ मुकदमेबाजी हो सकती है। ऐसे में उन्होंने सरकार से वैक्सीन निर्माताओं को इस तरह की मुकदमेबाजी से रक्षा देने के लिए कानून बनाने की मांग की है ताकि सारा ध्यान वैक्सीन बनाने पर रहे न कि मुकदमेबाजी में उलझे रहने पर।
पूनावाला ने वैक्सीन निर्माण को लेकर चुनौतियों पर एक वर्चुअल पैनल डिस्कशन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी सरकार के पास यह प्रस्ताव रखने की योजना बना रही है। पूनावाला ने कहा कि वैक्सीन निर्माताओं को सभी तरह की मुकदमेबाजी से सुरक्षा देने की जरूरत है। सरकार को मुकदमेबाजी के लिए निर्माताओं को क्षतिपूर्तिकी व्यवस्था करनी चाहिए।
आदर पूनावाला ने अपनी बात को समझाते हुए कहा, ‘खासकर यह अहमहै कि सिर्फ महामारी के दौरान वैक्सीन निर्माताओं को मुकदमेबाजी से सुरक्षा देनी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि अगर वैक्सीन के किसी कथित बुरे असर का दावा करते हुए मुकदमेबाजी होगी तो लोगों में भी वैक्सीन लगवाने को लेकर डर रहेगा। पूनावाला ने कहा कि सरकार को एक कानून लाना चाहिए ताकि कंपनियां वैक्सीन बनाने पर फोकस कर सकें, न कि कानूनी उलझनों को सुलझाने में लगें। उन्होंने अमेरिका का उदाहरण भी दिया जिसने महामारी के दौरान वैक्सीन निर्माताओं को गंभीर उल्टे असर को लेकर मुकदमेबाजी से सुरक्षा दिया है। उन्होंने कहा कि मुकदमेबाजी से वैक्सीन निर्माता दिवालिया हो जाएंगे या पूरे नि वह सिर्फमुकदमों से निपटने और मीडिया में सफाई देने में ही व्यस्त रहेंगे।
दरअसल, कुछ नि पहले सीरम इंस्टिट्यूट की कोरोना वैक्सीन कोशिल्डके निकल ट्रायल में हिस्सा लेने वाले एक वॉलंटियर ने इंस्टिट्यूट को पांच करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग वाला कानूनी नोटिस भेजा था। उसका दावा था कि वैक्सीन लगवाने के बाद उसे गंभीर न्यूरोलॉजिकल साइड-इफेक्ट्स हुए थे।
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