लखनऊ
राज्य विधान परिषद की 12 सीटों पर हो रहे चुनाव में भाजपा द्वारा 11वां प्रत्याशी नहीं दिया जाना राजनीतिक हल्के में चर्चा का विषय बना हुआ है। 11वें प्रत्याशी की अधिकृत घोषणा नहीं करने के बाद भी भाजपा इस सीट से सपा को दूर रखने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। सोमवार को नामांकन के अंतिम दिन एक और प्रत्याशी पर भाजपा के पत्ते खुलने के कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे में इस चुनाव में 12वीं सीट पर मुकाबला रोचक होता नजर आ रहा है। विधानसभा में संख्या बल के लिहाज से भाजपा के 10 प्रत्याशी बगैर किसी की मदद के आसानी से विधान परिषद में पहुंच जाएंगे। वहीं सपा का भी एक प्रत्याशी आसानी से जीत जाएगा। 12वें प्रत्याशी के चुनाव जीतने की गणित में अब बसपा, कांग्रेस, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और निर्दलीय विधायकों की भूमिका अहम हो जाएगी। इस चुनाव के लिए अब तक 24 नामांकन पत्र खरीदे गए हैं। 10 भाजपा, दो सपा और दो बसपा के नाम खरीदे गए हैं। दस नामांकन पत्र निर्दलीय उम्मीदवारों ने खरीदे हैं। नामांकन पत्रों की जांच के बाद भी उम्मीदवारों की संख्या 12 से अधिक रहने के आसार हैं। ऐसे में यह चुनाव मतदान की तरफ बढ़ता नजर आ रहा है। राज्यसभा चुनाव की तरह भाजपा बसपा को वाकओवर दे सकती है। माना जा रहा है कि राज्यसभा चुनाव में भाजपा ने बसपा की मदद की थी। उस समय बसपा ने सपा को सबक सिखाने की बात भी कही थी। संभावना यह भी बनती है कि बसपा इस चुनाव में भाजपा की पसंद के किसी प्रत्याशी के साथ खड़ी हो जाए। विधान परिषद के चुनाव में एक सीट पर जीत हासिल करने के लिए करीब 32 वोट चाहिए। यदि किसी को प्रथम वरीयता के 32 वोट न मिलें तो दूसरी वरीयता के वोटों से फैसला होगा। यदि भाजपा अपना 11वां प्रत्याशी नहीं देती है तो यह लड़ाई सपा, बसपा और निर्दलियों के बीच सिमटेगी।
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