हम 26 जनवरी को हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। देश के इतिहास में जिस तरह 15 अगस्त देश को आजादी मिलने की एक अविस्मरणीय तारीख के तौर पर दर्ज है... ठीक उसी तरह 26 जनवरी का दिन भी बेहद खास है। ये दोनों तिथियां राष्ट्रीय पर्व के तौर पर हर साल धूमधाम से मनाई जाती हैं। असल में 26 जनवरी की तारीख का एक स्वर्णिम रिश्ता देश के संविधान से तो दूसरा गणतंत्र से जुड़ा हुआ है। आइए जानें कि 26 जनवरी को हम हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में क्यों मनाते हैं और गणतंत्र से इसका क्या रिश्ता है। साथ ही यह भी कि हमारा संविधान दुनिया के बाकी मुल्कों से बेहद खास क्यों है...
क्या है गणतंत्र
यहां एक सवाल वाजिब है कि आखिरकार 26 जनवरी के दिन ही सविंधान को क्यों लागू किया गया। इसका एक खास रिश्ता गणतंत्र से है। गणतंत्र यानी रिपब्लिक शासन की ऐसी प्रणाली है, जिसमें राष्ट्र किसी एक व्यक्ति विशेष का राज्य नहीं होता... यह लोक (गण) यानी सर्व जन (नागरिकों) का होता है। इसे ऐसे भी समझें कि यह किसी शासक की निजी संपत्ति नहीं होता है। राष्ट्र का मुखिया वंशानुगत नहीं होता है। सरल वाक्य में कहें तो गणतंत्र यानी रिपब्लिक का मतलब व्यवस्था का वह रूप है, जहां राष्ट्र का मुखिया राजा नहीं होता है। इसमें जनता अपना नेतृत्व चुनती है। संविधान के मुताबिक यह जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन है।
देश में लागू हुआ था अपना संविधान
दरअसल अंग्रेजों के शासन से 15 अगस्त सन 1947 को आजादी मिलने के बाद देश के पास अपना कोई संविधान नहीं था। भारत की शासन व्यवस्था गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 पर आधारित थी। इसके बाद 29 अगस्त सन 1947 को डॉ. बीआर आंबेडकर के नेतृत्व में प्रारूप समिति का गठन किया गया। इसके बाद 26 नवंबर सन 1949 को प्रारूप समिति ने एक वृहद लिखित सविंधान सभापति डॉ. राजेद्र प्रसाद को सौंपा। सविंधान लिखने में कुल दो साल 11 महीने 18 दिन लग गए थे। हालांकि आधिकारिक तौर पर सविंधान 26 जनवरी सन 1950 को लागू हुआ था। इसके साथ ही 26 जनवरी का दिन इतिहास में राष्ट्रीय पर्व के तौर पर दर्ज हो गया।
...इसलिए चुना गया 26 जनवरी का दिन
अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई के दौरान ही गणतंत्र की परिकल्पना कर ली गई थी... लेकिन अंग्रेजों के रहते इसे लागू करना इतना आसान नहीं था। यही वजह थी कि देश के लोगों ने एकजुट होकर सबसे पहले आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। तिथियों के लिहाज से देखें तो भारत को पूर्ण गणराज्य का दर्जा दिलाने की मुहीम देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में हुई थी। जब 26 जनवरी 1929 को लाहौर में कांग्रेस अधिवेशन हुआ, जिसमें पहली बार भारत को पूर्ण गणराज्य बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया। हालांकि िब्रटेनी हुकूमत ने कांग्रेस के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। यही वजह है कि आजादी मिलने के बाद सविंधान को लागू करने के लिए 26 जनवरी के दिन को ही चुना गया।
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