जौनपुर
प्रकृति की मार से बर्बाद हो रहे किसानों को बचाने के लिए चल रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जनपद में उदासीनता की भेंट चढ़ गई है। बीमा कंपनी के एजेंट गांवों में नहीं पहुंचे और घर बैठे ही कार्रवाई पूरी की। कृषि विभाग द्वारा इक्का-दुक्का किसानों की फसलों का बीमा किया गया, शेष किसान क्रेडिट कार्ड पर कर्ज लेकर बोई गई फसलों का ही बीमा हो सका। उदासीनता का आलम यह कि निर्धारित तिथि बीत गई और सिर्फ 5975 किसान ही इस योजना से जुड़ सके, जबकि जनपद में किसानों की संख्या लगभग आठ लाख है। पिछले कई साल से अवर्षण, ओलावृष्टि आदि के चलते फसलें नष्ट हो जा रही हैं। ऐसे में कर्ज लेकर खेती करने वाले किसानों को बर्बादी से बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है। इसमें नाममात्र के प्रीमियम पर फसलों का बीमा किया जाता है। जनपद में एचडीएफसी एरगो जनरल इंश्योरेंस कंपनी को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। कंपनी के एजेंट गांवों में नहीं पहुंच रहे हैं, जिसके चलते अन्नदाता महत्वाकांक्षी योजना के लाभ से वंचित हो रहे हैं। खामी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले के आठ लाख से अधिक किसान हैं, इनमें 5975 यानी एक प्रतिशत से भी कम किसानों की ही फसलों का बीमा हुआ है। रबी सीजन में चना, मटर, आलू, राई सरसों, गेहूं की फसलों का 31 दिसंबर तक बीमा किया जाना था। ग्राम पंचायतों में 20 हेक्टेयर से अधिक अधिसूचित फसलों का ही बीमा किया जाता है। किसानों को मात्र 1.5 प्रतिशत प्रीमियम देना था। बाकी धनराशि केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा भुगतान करना है। सरकार द्वारा चलाई गई महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन का सच फसलों के बीमा आंकड़े उजागर कर रहे हैं। जनपद के फसल बीमा कराने वाले 5975 किसानों में महज 88 गैर ऋणी किसान हैं, बाकी कर्ज लेकर उगाई गई फसलों का ही बीमा हुआ है।
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