दो संगठन आंदोलन से हटे | टिकैत सहित कई किसान नेताओं पर FIR | चिल्ला बॉर्डर से टेंट उखड़ने शुरू
नई दिल्ली
26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के 24 घंटे के भीतर दो किसान संगठनों ने खुद को आंदोलन से अलग कर लिया। राष्ट्रीय मजदूर किसान संगठन और भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने खुद को आंदोलन से अलग कर लिया। भानु गुट ने तो चिल्ला बॉर्डर से अपने टेंट उखाड़ने भी शुरू कर दिए हैं।
संगठन के चीफ वीएम सिंह ने कहा कि दिल्ली में जो हंगामा और हिंसा हुई, उसकी जिम्मेदारी भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत को लेनी चाहिए। हम ऐसे किसी शख्स के साथ विरोध को आगे नहीं बढ़ा सकते, जिसकी दिशा कुछ और हो।
इसके महज 15 मिनट बाद भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने भी प्रदर्शन खत्म करने का ऐलान कर दिया। इसके अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा कि मंगलवार को दिल्ली में जो कुछ भी हुआ, उससे मैं बहुत दुखी हूं और 58 दिनों का हमारा प्रोटेस्ट खत्म कर रहा हूं।
किसान नेताओं ने वादा तोड़ा
दिल्ली पुलिस आयुक्त ने बताया कि 25 जनवरी की देर शाम तक, यह सामने आया कि रैली निकाले जाने को लेकर हमारे और किसान नेताओं के बीच जो तय हुआ है उसे वे (किसान) नहीं रख रहे थे। वे आक्रामक और उग्रवादी तत्वों को सामने लाए, जिन्होंने मंच पर कब्जा कर लिया और भड़काऊ भाषण दिए, जिससे उनके इरादे स्पष्ट हो गए थे।
पुलिस आयुक्त ने आगे बताया कि हिंसा करने वालों के वीडियो पुलिस के पास उपलब्ध हैं। किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा। जो भी किसान नेता है और उनकी लिप्तता इसमें पाई जाती है तो कानूनी कार्रवाई होगी। हमारा एग्रीमेंट किसान नेताओं के साथ हुआ था और उन्होंने हमारे साथ धोखा किया उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
हम दिल्ली में गैर-कानूनी तरीके से किए गए आंदोलन और उस दौरान हिंसा और लाल किले पर फहराए गए झंडे को बड़ी गंभीरता से ले रहे हैं। किसी भी व्यक्ति की मृत्यु पुलिस के कारण नहीं हुई। हमने इस समय को बहुत संयम से निकाला।
पुलिस आयुक्त ने बताया कि गाजीपुर में किसान नेता राकेश टिकैत के साथ जो किसान मौजूद थे उन्होंने भी हिंसा की घटना को अंजाम दिया और आगे बढ़कर अक्षरधाम गए, हालांकि पुलिस द्वारा कुछ किसानों को वापस भेजा गया लेकिन कुछ किसानों ने पुलिस बैरिकेड तोड़े और लाल किला पहुंचे।
पुलिस ने बताया कि अभी तक कुल 19 लोगों को हिरासत में लिया गया है और पचास से पूछताछ की जा रही है। जो भी लोग तोड़फोड़ में थे उनकी पहचान की जा रही है। उनको गिरफ्तार किया जाएगा। अब तक 25 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। कोई भी अपराधी जिसकी पहचान होती है, उसे छोड़ा नहीं जाएगा। जो किसान नेता इसमें शामिल हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। किसान नेताओं ने वादाखिलाफी की और हिंसा को भड़काया। रैली दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगी, इसका नेतृत्व किसान को करना था नेताओं और नेताओं को अपने समूहों के साथ होना चाहिए। उन्हें यह भी लिखित में दिया गया था कि 5000 से अधिक ट्रैक्टर (रैली में) नहीं होने चाहिए और उनके पास कोई हथियार नहीं होना चाहिए। इन घटनाओं में कुल मिलाकर 394 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और कुछ पुलिसकर्मी ICU में भी हैं। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने 25 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए हैं।
एक फरवरी को संसद मार्च नहीं, आंदोलन जारी रहेगा
किसान नेताओं ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उनका आंदोलन जारी रहेगा। किसान नेता योगेंद्र यादव के अनुसार एक फरवरी को आम बजट के दिन संसद मार्च का फैसला फिलहाल टाल दिया गया है। राकेश टिकैत ने पूरी हिंसा के लिए सरकार को ही जिम्मेदार ठहरा दिया। खुद पर लगे आरोपों को लेकर भाकियू के राकेश टिकैत ने कहा कि मैं पहले ही किसानों की सारी जिम्मेवारी ले चुका हूं। जिसको गाजीपुर छोड़ना है वह छोड़ दे।
आंदोलन को कमजोर आदमी बीच में छोड़ता है। इसबीच किसानों में भ्रम की स्थिति है और हजारों किसान आंदोलन को छोड़कर अपने घर की ओर निकल गए हैं। डेरे,तंबू और लंगर उखड़ गए हैं।
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