गर्भावस्था में प्रोटीन से भरपूर आहार, मसलन दाल, बींस, पालक, अंडा और चिकन न खाने वाली महिलाएं अपने होने वाले बच्चे को प्रोस्टेट कैंसर के प्रति ज्यादा संवेदनशील बनाती हैं। जर्नल ऑफ गेरेंटोलॉजी में छपे एक अमेरिकी अध्ययन में यह दावा किया गया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक प्रोटीन गर्भस्थ शिशु में टेस्टॉस्टेरॉन और ऑइस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर संतुलित रखता है। विभिन्न अध्ययन में पुरुषों के प्रोस्टेट में कैंसर को जन्म देने वाले ट्यूमर के पनपने के लिए टेस्टॉस्टेरॉन हार्मोन की कमी को मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया गया है।
यह सवाल अक्सर उन लोगों को अधिक परेशान करते हैं, जिनको रोटी की तुलना में चावल खाना अधिक पसंद होता है। सर्दियों के मौसम में सर्दी-खांसी और कई तरह की वायरल समस्याओं का जोखिम बहुत अधिक बढ़ जाता है। इसलिए इन दिनों अपने खानपान का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। लेकिन अक्सर जब लोगों को सर्दी-खांसी जैसी समस्याएं होती है, तो एक सवाल उन्हें काफी परेशान करता है, कि क्या सर्दी-खांसी में चावल का सेवन करना स्वस्थ है? अगर आपकी भी कंफ्यूजन यही है, तो आइए पता करते हैं कि इस धारणा में कितनी है सच्चाई। अकसर यह सुनने में आता है कि चावल का सेवन सर्दी में कफ का कारण बनता है। चावल से होने वाली कफ और खांसी दोनों ही शरीर को कमजोर बनाने का काम करते हैं। यह कारण हैं कि कई विशेषज्ञ जुकाम में चावल नहीं खाने की सलाह भी देते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेदिक विज्ञान के अनुसार चावल में बलगम बनाने वाले गुण होते हैं। जिस तरह केले में बलगम बनाने की क्षमता होती है, उसी तरह चावल भी आपके शरीर के तापमान को ठंडा करता है। यही कारण हैं कि जब आप सामान्य सर्दी और खांसी से पीड़ित होते हैं तो आपको गर्म खाने या गर्म पेय पदार्थ का सेवन करने की सलाह दी जाती है। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि केवल ठंडा या बासी चावल ही शरीर को ठंडक प्रदान करता है।
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