तीन नए कृषि कानूनों पर गतिरोध दूर करने के लिए बुधवार को मोदी सरकार द्वारा थोड़ी नरमी दिखाते हुए कानूनों को डेढ़ वर्ष तक निलंबित रखे जाने के प्रस्ताव को किसानों ने ठुकरा दिया है। सरकार से 10वें दौर की बातचीत में रखे गए प्रस्तावों पर चर्चा के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की गुरुवार को कई घंटों आम सभा चली, जिसमें यह फैसला लिया गया। लिहाजा, आज सरकार एवं किसानों के बीच होने वाली 11वें दौर की वार्ता से पहले यह फैसला आना बेहद अहम है। किसानों का कहना है कि तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक एमएसपी के लिए एक कानून बनाने की बात पर वह कायम हैं। किसानों का कहना है कि यह किसान आंदोलन की मुख्य मांगें हैं और वे इस पर अडिग हैं।
उन्होंने बताया कि पुलिस प्रशासन के साथ हुई बैठक में पुलिस ने हमें दिल्ली में प्रवेश न करने की बात कही है, वहीं किसानों ने दिल्ली के रिंग रोड पर परेड करने की बात दृढ़ता और ज़ोर से रखी। उनका कहना है कि हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण चल रहा यह अब देशव्यापी हो चुका है। वहीं, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि 26 जनवरी को किसान अपना मार्च दिल्ली में आउटर रिंग रोड पर ही निकालेंगे। दिल्ली पुलिस और किसानों के बीच बने गतिरोध के बीच आज फिर बैठक होगी।
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