नई दिल्ली
जनवरी के पहले और दूसरे हफ्ते में SBI समेत देश के कई बड़े बैंकों ने FD पर ब्याज दरें बढ़ाने की घोषणा की थी। इसे इस बात का संकेत माना जा रहा था कि सस्ते कर्ज का दौर खत्म हो गया और लोन पर भी ब्याज दरें बढ़ने वाली हैं। अब इसकी पुष्टि भारतीय रिजर्व बैंक के एक कदम से भी हो गई है। शुक्रवार को RBI ने बैंकों का 2 लाख करोड़ रुपए एक्स्ट्रा कैश अपने पास जमा कर लिया, वह भी ज्यादा ब्याज पर।
RBI ने 3.55% तक ब्याज पर यह पैसा जमा लिया है। ब्याज की यह दर रिवर्स रेपो रेट से ज्यादा है। बैंकों के पास जब भी एक्स्ट्रा कैश होता है, तो वे उसे RBI के पास जमा करते हैं। इसे रिवर्स रेपो कहा जाता है। RBI ने रिवर्स रेपो दर 3.35% तय कर रखी है, लेकिन शुक्रवार को 3.55% पर एक्स्ट्रा कैश लेना यह बताता है कि बैंकिंग सिस्टम में बढ़ी लिक्विडिटी यानी कैश को वह कम करना चाहता है।
लिक्विडिटी कम होने पर बैंकों के लिए फंड की लागत बढ़ जाती है। यानी उन्हें ज्यादा ब्याज पर पैसा मिलता है। इसलिए जब वे कर्ज देते हैं, तो उस पर भी ज्यादा ब्याज लेते हैं। हालांकि लोन पर ब्याज बढ़ने में थोड़ा वक्त लग सकता है। माना जा रहा है कि बैंकिंग सिस्टम में अभी करीब 5.6 लाख करोड़ रुपए एक्स्ट्रा कैश है। आर्थिक गतिविधियां अभी तक कोरोना से पहले के स्तर पर नहीं आई हैं। इसलिए बैंक ज्यादा लोन नहीं दे पा रहे हैं। RBI के अनुसार बैंकों का कर्ज 5-6% की धीमी गति से बढ़ रहा है। यही कारण है कि उनके पास अतिरिक्त कैश जमा हो गया है। शुक्रवार को बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस ने 3 लाख करोड़ रुपए रिवर्स रेपो में जमा करने की बिड की थी। RBI ने 2 लाख करोड़ की बिड मंजूर की। लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां धीमी पड़ीं, तो उसमें तेजी लाने के लिए RBI ने ब्याज दरों में कटौती की थी। मकसद यह था कि लोग सस्ता कर्ज लेकर खरीदारी करें या इंडस्ट्री उसे निवेश करें।
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