पटना
बिहार में रेलवे सह सड़क ऊपरी पुल (आरओबी) का निर्माण अब हर हाल में दो साल में पूरा करा करना होगा। तय समय में काम नहीं करने पर एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। शहरों में लगने वाले जाम की समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए पथ निर्माण विभाग ने यह समय सीमा तय की है।
बीते दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुशासन के कार्यक्रम 2020-25 के तहत सुलभ सम्पर्कता की समीक्षा की थी। उस बैठक में शहरी क्षेत्रों में बाईपास, फ्लाईओवर व आरओबी निर्माण की समीक्षा हुई थी। उसी बैठक में विभाग की ओर से पेश किये गए पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन में आरओबी निर्माण की समय सीमा तय की गई। नए नियम के अनुसार आरओबी निर्माण के लिए जिस दिन एजेंसी को कार्य आवंटित कर दिया जाएगा, उसके ठीक दो साल में उसका निर्माण कार्य पूरा कर लेना होगा। यह नियम एजेंसी और विभाग के बीच एकरारनामा के रूप में उल्लेखित भी किया जाएगा। पहले आरओबी का निर्माण रेलवे ही किया करती थी, लेकिन मई 2019 में रेलवे और बिहार सरकार ने समझौता किया कि आरओबी का निर्माण पथ निर्माण विभाग भी करेगा।
इसके तहत रेलवे के हिस्से का निर्माण रेल मंत्रालय तो एप्रोच रोड का निर्माण पथ निर्माण विभाग करेगा। समझौते के तहत राज्य में 55 आरओबी बनाने का निर्णय पथ निर्माण विभाग की ओर से लिया गया। विभाग के अधीन कार्यरत बिहार राज्य पुल निर्माण निगम और बिहार राज्य पथ विकास निगम करेगा। आरओबी के निर्माण का खर्च रेलवे और राज्य सरकार मिलकर करेगी।
दो आरओबी का निर्माण शुरू
रेलवे और राज्य सरकार के बीच हुए समझौते के बाद दो आरओबी का निर्माण शुरू कर दिया गया है, जबकि चार आरओबी निविदा प्रक्रिया में है। सात आरओबी पर तकनीकी प्रक्रिया जारी है। इसमें तारेगना, दानापुर-नेऊरा, चौसा-गहमर, जीवधारा-बापूधाम, परसौनी-सीतामढ़ी, बक्सर-वरुणा, नवगछिया-कटोरिया के बीच प्रस्तावित आरओबी है।
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