कुरूक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। श्रीमद्भागवत गीता के उपदेशों में मानव के कल्याण का रहस्य छिपा हुआ है। धर्मयुद्ध में जब अर्जुन धर्मसंकट में फंस गए तब भगवान ने उन्हें गीता का रहस्य समझाया। गीता के उपदेश व्यक्ति को जीवन जीने की कला सिखाते हैं। इन उपदेशों और विद्वानों की वाणी में ही जीवन की सफलता का रहस्य छिपा हुआ है।
जीवन के दर्शन को समझें
मनुष्य का जीवन विशेष लक्ष्य और उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्राप्त हुआ है। इसलिए इस जीवन को मानव कल्याण के लिए समर्पित कर देना चाहिए। जो व्यक्ति दूसरों के लिए जीता है, वह मनुष्य श्रेष्ठ होता है। मनुष्य को इस धरती को सुंदर बनाने के लिए प्रयास करने चाहिए। गीत में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि मनुष्य का जीवन जबतक है तब तक श्रेष्ठ कार्य करने चाहिए। लोगों के हित में कार्य करने चाहिए। आपके द्वारा अच्छे कार्यों की छाप रह जाती है बाकी सब मिट जाता है। इसलिए जीवन में ऐसे कार्य करने चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ियां अनुकरण करें। ये दुनिया इसी तरह से चलती है। और आगे भी चलती रहेगी। व्यक्ति को सदा ही अच्छे कार्यों की तरफ अग्रसर रहना चाहिए। यही जीवन की सार्थकता है।
अच्छे विचारों को अपनाएं
विद्वानों का मत है कि व्यक्ति को जीवन में अच्छी चीजों का हिस्सा बनने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। व्यक्ति के जीवन में बहुत घटित होता रहता है। लेकिन ज्ञान और जागरूकता के अभाव में यह निर्णय नहीं ले पाता है कि उसे किन चीजों को अपनाना चाहिए। सफल व्यक्ति हर चीज का ज्ञान रखता है फिर वह बुरी हो या अच्छी। जानकारी हर चीज की होनी चाहिए। लेकिन अच्छी चीजों का हिस्सा बनना चाहिए और बुरी चीजों का नहीं। जो व्यक्ति अच्छी आदतों को अपनाता है उससे लक्ष्मी जी भी प्रसन्न रहती हैं।
Post a comment