मुंबइ
इस साल राजधानी नई दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस की परेड में महाराष्ट्र की तरफ से वारकरी संत परंपरा पर आधारित चित्ररथ तैयार किया गया है। चित्ररथ में भाग लेने वाले कलाकारों में बहुत उत्साह है। चित्ररथ का निर्माण भी पूरा हो चुका है। परेड में 17 राज्यों और 15 केंद्रीय मंत्रालयों सहित कुल 32 चित्ररथ भाग लेंगे।
चित्ररथ प्रदर्शित करने की परंपरा
हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विदेशी मेहमानों की उपस्थित में आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों की संस्कृति और विशेषताओं को दर्शाने वाले चित्ररथ प्रदर्शित करने की परंपरा रही है। महाराष्ट्र सरकार के सांस्कृतिक कार्य संचालनालय विभाग की तरफ से चित्ररथ की संकल्पना से लेकर उसके निर्माण, कलाकारों के अभ्यास का कार्य किया जाता है। राज्य के सांस्कृतिक कार्य मंत्री अमित देशमुख, राज्यमंत्री डॉ.राजेंद्र पाटिल-यड्रावकर और विभाग के सचिव सौरभ विजय के मार्गदर्शन में महाराष्ट्र की वारकरी संतों की महान परंपरा को दर्शाने वाले चित्ररथ तैयार किया गया है।
आकर्षण का केंद्र होगी संत ज्ञानेश्वर की प्रतिमा
वारकरी संत व समकालीन संतों ने जाति व्यवस्था, विषमता और अंधविश्वास के खिलाफ आवाज उठाते हुए सामाजिक ज्ञान का एक बड़ा काम किया। इसी परंपरा को दर्शाने वाला चित्ररथ तैयार किया गया है। इस रथ में वारकरी सम्प्रदाय की नींव रखने वाले संत ज्ञानेश्वर महाराज की आठ फीट बैठी हुई प्रतिमा खास आकर्षण का केंद्र होगी। संत ज्ञानेश्वर की मूर्ति के पास ज्ञानेश्वरी ग्रंथ प्रदर्शित किया गया है। चित्ररथ के बीच वाले हिस्से में हिंदवी स्वराज्य संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज और वारकरी संप्रदाय के शीर्ष संत तुकाराम महाराज की मुलाकात पर आधारित भक्ति और शक्ति का संदेश देने वाले आठ फीट के चलते-फिरते पुतले होंगे। इसके अलावा वारकरी संत पांडुरंग की प्रतिमा भी देखने को मिलेगी। चित्ररथ के आखरी हिस्से में आठ फीट की संतवाणी ग्रंथ बनाया गया है। इसमें संतों की वाणी लिखी हुई है।
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