नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 14 फरवरी को सेना को युद्धक टैंक अर्जुन (एमके-1ए) की चाबी सौंपने के बाद अब 23 फरवरी को रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए 6000 करोड़ रुपए की राशि की मंजूरी दे दी है। इसी के साथ अब सेना में 118 उन्नत अर्जुन टैंक शामिल किए जाएंगे।
अर्जुन टैंक की खासियत
डीआरडीओ ने अर्जुन टैंक की फायर पावर क्षमता को काफी बढ़ाया है। अर्जुन टैंक में नई टेक्नोलॉजी का ट्रांसमिशन सिस्टम है। इससे अर्जुन टैंक आसानी से अपने लक्ष्य को ढूंढ लेता है। अर्जुन टैंक युद्ध के मैदान में बिछाई गई माइंस हटाकर आसानी से आगे बढ़ने में सक्षम है। अर्जुन टैंक में केमिकल अटैक से बचने के लिए स्पेशल सेंसर लगे हैं। इस टैंक की वजह से जमीन पर लड़ा जाने वाला युद्ध का स्वरूप ही बदल गया। इनका पहली बार बड़े पैमाने पर दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उपयोग हुआ। भारत ने भी पाकिस्तान के साथ 1965 में टैंकों का उपयोग किया। अर्जुन टैंक का फिन-स्टैब्लाइज्ड डिस्करिंग सबोट सिस्टम लड़ाई के दौरान दुश्मन टैंक की पहचान करता है और उसे नष्ट कर देता है।
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