प्रयागराज
मौनी अमावस्या के मौके पर गुरुवार भोर से ही पवित्र नदियों के तट पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। संगम नगरी प्रयागराज हो, बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी या फिर प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या, हर जगह भोर से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने और स्नान के साथ दान-पुण्य करने का सिलसिला बना हुआ था।
तीर्थराज प्रयाग में माघ मेले के सबसे बड़े स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर स्नान करने आए लाखों श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा हुई। प्रदेश सरकार ने हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा कर आस्थावनों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। त्रिवेणी स्नान का पुण्यलाभ लेने पहुंचे श्रद्धालु आसमान से पुष्प वर्षा देख अभिभूत हो उठे और गंगा मइया की जय के साथ मोदी और योगी की भी जय-जयकार कर उठे। मौनी अमावस्या के स्नान के लिए तीन दिन पहले से भीड़ आनी शुरू हो गई थी। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती और शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती भी अनुयायियों के साथ स्नान करने पहुंचे। मेला प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए हैं। संगम के 150 फीट के सर्कुलेटिंग एरिया में स्नान हुआ। दिन बढ़ने के साथ संगम पर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती गई। कोरोना संक्रमण काल में शायद यह पहला मौका है जब देश या विदेश में कहीं एक साथ इतनी भीड़ जुटी है। माघ मेले में तीसरे और सबसे बड़े स्नान पर्व में कोरोना के भय पर श्रद्धा पूरी तरह भारी पड़ती दिखी। रात 12 बजे के बाद अमावस्या तिथि लगते ही पावन त्रिवेणी में पुण्य की डुबकियां लगने लगीं। सुबह पौ फटने के बाद तीन घंटे पुण्यकाल में स्नान के लिए लोग संगम समेत तमाम घाटों पर जुटे।
उधर, वाराणसी में भी गुरुवार को गंगा के घाटों पर स्नान के लिये श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान गंगा घाटों पर सोशल डिस्टेंसिंग की कमी दिखाई दी। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पावन गंगा में डुबकी लगाई। गंगा स्नान से पहले श्रद्धालुओं ने संकल्प लिया, फिर गंगा में डुबकी लगाकर सूर्य को अर्घ्य दिया।
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