डकार आना वह स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से पेट में मौजूद अतिरिक्त गैस शरीर से बाहर निकलती है. लेकिन यदि आपको बार-बार डकारें आती हैं तो स्थिति थोड़ी असहज हो जाती है. ज़्यादा डकारें आने के दो प्रमुख कारण हैं: पहला-खाना खाते समय या पानी पीते समय ज़रूरत से अधिक हवा का शरीर के अंदर चले जाना, दूसरा-खाना ठीक से हज़म न होना.
पुदीना : पुदीने की ऐंटी स्पैज़्मॉडिक (मरोड़ रोधी) प्रॉपर्टी आपके पाचन तंत्र को रिलैक्स कराती है, जिससे पेट में गैस बनने की प्रक्रिया धीमी पड़ती है. साथ ही पुदीने से हाज़मा भी ठीक होता है.
इसे यूं आज़माएं: एक टीस्पून पुदीने की सूखी पत्तियां, एक कप गर्म पानी में डालें. १० मिनट बाद इस पानी को छान लें और पिएं. दिन में दो से तीन बार ऐसा करें राहत मिलेगी.
दही : दही एक प्रोबायोटिक फ़ूड है, जो पेट में प्राकृतिक रूप से मौजूद गट बैक्टीरिया के संतुलन को बरकरार रखता है. दरअस्ल, गट बैक्टीरिया के असंतुलन से पेट में गैस होना और डकारें आना जैसी समस्याएं होती हैं. प्रोबायोटिक फ़ूड से पाचन संबंधी विभिन्नफ समस्याएं ठीक होती हैं, फिर चाहे वह कब्ज़ हो या डायरिया. या फिर पेट का फूला-फूला महसूस होना.
इसे यूं आज़माएं: अपने रोज़ाना के खानपान में दही शामिल करें. इसके अलावा आप छाछ, खट्टेर अचार या फिर प्रोबायोटिक सप्लिमेंट्स को खानपान में शामिल कर सकते हैं.
इलायची : इलायची से पेट में डाइजेस्टिव जूस बनने की प्रक्रिया तेज़ होती है, जिससे गैस बनने की संभावना कम होती है. वात घटाने का इसका गुणधर्म पाचन में भी मदद करता है. साथ ही पेट का फूलना भी कम होता है.
सौंफ : सौंफ से भी पेट की गैस कम होती है. यह पाचन तंत्र को राहत देने के साथ-साथ पेट फूलना, ख़राब हाज़मा और गले में जलन जैसी समस्याओं से निजात दिलाती है.
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