बजट की घोषणा के साथ जिस तरह शेयर बाजार झूम उठा वह अपने आप में इस बजट की अहमियत को बयां करता है. इस समय देश के सामने सुरक्षा, स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र में बड़ी चुनौतियां रही हैं. वित्त मंत्री ने अपने वर्ष 2021-22 के बजट में इसका व्यापक प्रावधान किया है. बजट में सुरक्षा मद में प्रावधान इस समय में, जबकि सीमा पर तनाव है सुरक्षा बलों को और मजबूत करने और साजो-समान से लैश करने में मददगार साबित होगा. अभी हाल ही में हमारे सेना प्रमुख ने यह चिंता व्यक्त की थी कि हमारी सैन्य आधुनिकीकरण की गति उतनी तीव्र नहीं है, जितनी हमारी चीन जैसे दुश्मनों की है. वित्त मंत्री ने बजट में अपने सुरक्षा सबंधी प्रावधानों में उनकी चिंता दूर करने का भरसक प्रयास किया है. किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए किये गए प्रावधान नि:संदेह मोदी युग के शुरुआत से ही अर्थ व्यवस्था के इस क्षेत्र को मजबूत करने और किसानों की आय दोगुना करने के उनके सरकार के लक्ष्य के अनुरूप हैं. इन प्रावधानों से हठधर्मिता पर उतारू और कृषि कानून रद्द करों-रद्द करो की तोतारटंत पर अड़े किसान आन्दोलन को सद्बुद्धि आने की उम्मीद है, कारण इनमें किये गये प्रावधान सरकार की किसानों के हित के प्रति गंभीरता दर्शाते हैं कि वह कृषि जगत और किसानों की हालत सुधारने के प्रति कितनी गंभीर है. इससे यह कहा जा सकता है कि पहले से ही कमजोर हो रहा किसान आन्दोलन जिसे देश के दो ढाई राज्यों के भी किसानों का पूरा समर्थन नहीं प्राप्त है और कमजोर होगा. लोग महामारी के दौरान स्वस्थ रहें और सुरक्षित रहें इसके लिए हमारे प्रधानमंत्री ने प्रयत्नों की पराकाष्ठा की है. उन्होंने हर चीज के ऊपर देश के लोगों के जीवन की सुरक्षा को रखा और इस महामारी के दौरान हर वह कड़े कदम उठाये जो जरूरी थे और जान है तो जहान है का नारा बुलंद किया, तो स्वाभाविक है कि बजट में भी इसकी अनदेखी की कोई संभावना नहीं थी. वैक्सीन के लिए भारी भरकम राशि की व्यवस्था लोगों के स्वास्थ्य की और जीवन की रक्षा के लिए किसी भी स्तर पार जाने की और कुछ भी करने की केंद्र सरकार की इच्छाशक्ति को दर्शाता है. जिस तरह सरकार ने नए कर नहीं लगाए हैं. आयकर में भी कोई बड़ा फेरबदल यदि नहीं भी हुआ है तो भी कुछ सहूलियतें दी गयी हैं. जिस तरह से उद्योग जगत और वित्त संस्थान इस बजट का स्वागत कर रहे हैं वह जताता है कि वित्त मंत्री ने नाजुक समय में शानदार बजट प्रस्तुत किया है. मोदी युग की शुरुआत से ही वोकल फॉर लोकल और देश को हर दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने के अभियान का श्री गणेश हुआ. कोरोना काल में इस अभियान में और गति आयी, इस पर भी बजट में फोकस दिखता है और आत्मनिर्भर बनाने का विजन सीमित नहीं है, बल्कि वह व्यवस्था के हर अंग को अपने में समेटता है. इसके साथ हर तरह के बुनियादी ढांचे देश में विकसित हो इस पर भी शुरू से ही जोर रहा है. चाहे वह कौशल विकास हो, अस्पताल स्कूल की व्यवस्था हो, अच्छी सड़कें और हर तरह के आवागमन के साधनों का विकास हो बजट की दृष्टि सब पर पड़ी है और सकारात्मक रूप से पड़ी है. मोदी के विजन में गांव-शहर की भेद को जगह नहीं है. वह शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और सड़क, बिजली, पानी की अच्छी व्यवस्था समाज के हर वर्ग और देश के हर क्षेत्र के नागरिकों के लिए चाहते है और उसी तरह का काम उनके पहले कार्यकाल से ही शुरू हुआ है और उसकी भी झलक यह बजट देता है. इसलिए इसके स्वागत में शेयर बाजार झूम रहा है और विपक्ष को छोड़ कर सब स्वागत कर रहे हैं तो उनका काम वही है, यदि यह नहीं करेंगे तो विपक्ष कौन कहेगा. विपक्ष ने विशेष कर कांग्रेस नीत यूपीए और उसके पहले की विशुद्ध कांग्रेसी सरकारों ने उक्त कई मुद्दो पर कुछ करने की बात कौन कहे सोचने की भी जहमत नहीं उठाई. यदि उक्त दृष्टिकोण से लगभग 7 साल के अबतक के कार्यकाल में इतना काम हो सकता है तो इसके पहले के वर्षों में देश का सूरत-ए-हाल कुछ और होता. विपक्ष का काम खाली विरोध के लिए विरोध करना नहीं होता. हमारे देश का विपक्ष यही कर रहा है. इसलिए उसका लगातार बंटाधार हो रहा है और भाजपा का चंदोवा लगातार उच्चे से उच्चा हो रहा है.
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