कुछ लोगों की फितरत होती है कि वे ओछी लोकप्रियता के लिए कुछ भी कर सकते है. देश के दो ढाई राज्यों के कुछ किसान आन्दोलन पर हैं, उनसे सरकार 11 बार बात कर चुकी है, इसके बाद भी बात करने को तैयार है लेकिन रद्द करो रद्द करो की तोतारटंत के साथ अभी भी वे मैदान में डटे हैं, उनका लिबास ओढ़कर गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में असमाजिक तत्वों ने जो कुछ भी किया उसे देश और दुनिया जानती है.
राष्ट्र ध्वज के साथ उन्होंने जो कुछ किया उससे पूरे देश में और यहां तक कि आन्दोलनकारियों में भी दुख है, आक्रोश है. इतना सब होते हुए भी दो विदेशी सेिलब्रेटी रिहाना और ग्रेटा द्वारा इस पर टिप्पणी कर बिना बात के बवाल खड़ा करने की कोशिश कर रही है जो सर्वथा अनुचित, आपत्तिजनक और अवांछनीय है. यह उनकी अनाधिकार चेष्टा और उनकी हमारे मुद्दों के प्रति अनभिज्ञता दर्शाता है. किसी को कोई हक नहीं है कि वह हमारे आंतरिक मामले को बिना जाने समझे उस पर बयान बाजी करे. हम अपने हर मामलों का अच्छी तरह से समाधान करने में सक्षम हैं. आज जिस तरह से हमारी केंद्र सरकार ने, विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने और फिल्म जगत से जुड़ी हस्तियों से इसका कड़ा प्रतिकार किया है. यह उसी का पात्र है. उनकी हरकत ओछी शोहरत के लिए एक प्रोपेगंडा से ज्यादा कुछ नहीं है. उम्मीद है कि इस बार की इस अवांछनीय हरकत को जो तीखा प्रतिसाद हमारे द्वारा दिया गया है, उससे ये दोनों सबक लेंगी और भविष्य में इस तरह के अज्ञान से सराबोर और अनावश्यक वक्तव्य देकर अपना कद छोटा नहीं करेंगी. यह दोनों यह सब करने की बजाय उन कामों पर ध्यान दें जिसकी बदौलत आज उन्हें सेिलब्रेटी के नाम से जाना जाता है तो ज्यादा अच्छा होगा. जिस मुद्दे की सच्चाई आप नहीं जानते उस पर किसी भी देश के बारे में कुछ भी बोलकर आलोचना का पात्र नहीं बनाना चाहिए इससे उनकी कीर्ति नहीं अपकीर्ति बढ़ेगी इतना तो ज्ञान इन्हें होना चाहिये. इसलिए इन्हें अपने बड़बोलेपन पर लगाम लगाना चाहिये यही इनके लिए सही होगा.
Post a comment