बिहार कोरोना जांच फर्जीवाड़े को लेकर
पटना
कोरोना जांच को लेकर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के आरोप पर सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री संजय झा ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि पूरे कोरोना काल में तेजस्वी यादव बिहार से बाहर थे। विपत्ति के समय में राज्य की जनता को छोड़ दूसरी जगह चले जाने वाले विपक्ष के नेता शनिवार को सवाल उठा रहे हैं। देश में वह इकलौता विपक्ष के नेता थे, जो कोरोना के समय में राज्य को छोड़कर बाहर चले गए थे। मंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए बिहार में जिस व्यापक स्तर पर काम हुआ, उतना देश में कहीं और नहीं हुआ है। 10 हजार करोड़ से अधिक की राशि कोरोना काल में खर्च की जा चुकी है। इसी का परिणाम है कि बिहार में कोरोना से होने वाली मृत्यु दर करीब नगण्य है। उन्होंने कहा कि सूचना भवन में मीडिया सेंटर बनेगा। सभी विभागों की प्रेस रिलीज यहां से पत्रकारों को उपलब्ध हो कराई जाएगी। मंत्री शनिवार को विभाग का पदभार ग्रहण करने के बाद मीडिया से मुखातिब थे। उन्होंने कहा कि सरकार के कार्यों और योजनाओं के साथ-साथ प्राथमिकताओं की सही जानकारी जनता तक पहुंचे यह सुनिश्चित किया जाएगा। आपको बता दें कि कोरोना जांच फर्जीवाड़े पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आनन-फानन में जमुई के सिविल सर्जन समेत चार कर्मियों के सस्पेंड और छह कर्मियों की बर्खास्ती को महज दिखा बताया। तेजस्वी ने ट्वीट करते हुए आरोप लगाया कि अरबों का कोरोना घोटाला सामने आने के बाद नीतीश जी दिखावटी तौर पर जैसा कि पूर्व के 61 घोटालों में करते आए हैं। छोटे स्तर के कर्मचारियों को बर्खास्त करने का नाटक रच, धन उगाही कर JDU को चुनावी चंदा देने वाले उच्च अधिकारियों को बचायेंगे। यही नीतीश कुमार की स्थापित नीति, नीयत और नियम है।
इससे पहले तेजस्वी ने लगातार दो ट्वीट करते हुए कहा कि था कि बिहार में टेस्टिंग की संख्या 4 महीनों तक देश में सबसे कम रही। विपक्ष और जनदबाव में नीतीश जी ने विपदा के बीच ही आँकड़ों की बाज़ीगरी नहीं करने वाले 3 स्वास्थ्य सचिवों को हटा दिया। फिर उन्होंने अपने जाँचे-परखे आँकड़ों की बाज़ीगिरी करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों को नियुक्त किया।
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