त्वरित सुनवाई की प्रतीक्षा में बैठे लोगों को लगा झटका
पटना
कोरोना वायरस का भय अब भी पटना हाईकोर्ट से नहीं जा पाया है। यही वजह है कि त्वरित न्याय की प्रतीक्षा में बैठे पीड़ितों को पटना हाईकोर्ट से झटका लगा है। हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की सुनवाई संबंधित सूची तैयार हो गई है। फरवरी महीने से भी न्यायाधीश 35 मामलों से अधिक केस की सुनवाई नहीं करेंगे। हालांकि वकीलों को आश्वस्त किया गया था कि कोरोना का दुष्प्रभाव नहीं रहा तो फरवरी महीने से ज्यादा से ज्यादा फिजिकल पैटर्न पर मामलों की सुनवाई होगी। इस हिसाब से एक जज कम से कम 50 से अधिक मामले की सुनवाई करेंगे। हालांकि तैयारी सूची के अनुसार फरवरी में भी पहले जैसे ही सुनवाई होगी। बता दें कि जनवरी महीने में जब आमने-सामने सुनवाई होने लगी तो पहले दो सप्ताह प्रत्येक जज के लिए 25-25 केस सूचीबद्ध किए गए थे। बाद में केस की संख्या बढ़ाकर 35 कर दी गई और वकीलों को यह भरोसा मिला कि फरवरी से इसकी संख्या और बढ़ा दी जाएगी। वैसे अभियुक्त जिन्हें निचली अदालत में इस सजा मिल चुकी है। 1 साल से लंबित मामले जिस पर निचली अदालत में सजा तो मिल गई है किंतु पटना हाईकोर्ट अभी तक यह नहीं तय कर पाया है कि सजा सही तरीके से दी गई है या जजमेंट में कुछ गड़बड़ी हुई है। इस श्रेणी में उम्रकैद से लेकर फांसी की सजा तक हाईकोर्ट में लंबित है। इस श्रेणी में वैसे केस हैं जो अापराधिक मामले को खत्म कराने के लिए दायर किए गए हैं, ऐसे याचिकाओं की संख्या 40,000 से भी ज्यादा है। पटना हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत संबंधित 8000 से ज्यादा मुकदमे लंबित हैं जिस पर 8 महीने से भी ज्यादा समय से सुनवाई नहीं हो पाई है।
सिविल कोर्ट के मामले में फर्स्ट अपील सेकंड अपील अतिक्रमण, लैंड सिलिंग जैसे दर्जनों मामले। इस श्रेणी में ज्यादातर वैसे मामले हैं जो विभाग से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, किंतु उन्हें पेंशन एवं सेवानिवृत्ति लाभ नहीं दिया गया है। यह सारे मामले तो सिर्फ महज कुछ गिनाने के हैं। इसके अलावा सैकड़ों ऐसे मामले हैं जिसकी सुनवाई बरसों से लंबित है। सिविल एवं क्रिमिनल मामलों की कुल संख्या पटना हाईकोर्ट में एक लाख 80 हजार तक पहुंच चुका है। एक तरफ कोरोना वायरस के डर से सुनवाई को लगभग स्थिर कर दिया गया है वहीं पर लगातार जज रिटायर कर रहे हैं। न्यायाधीश हेमंत कुमार श्रीवास्तव सेवानिवृत्त हो जाएंगे तब कुल देशों की संख्या 20 रह जाएगी जबकि पटना हाईकोर्ट में जजों की संख्या 53 होनी चाहिए।
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