15 फरवरी के बाद से भारत के सभी टोल प्लाजाओं पर बने कैश लेन बंद कर दिए जाएंगे। साल 2016 में शुरू हुआ फास्टैग सेवा अब सभी चार पहिया वाहनों के लिए जरुरी हो गया है। परिवहन मंत्रालय अब जीपीएस आधारित टोल संग्रह सिस्टम पर काम कर रहा है इससे भारतीय टोल प्लाजाओं पर भुगतान के लिए मानवीय हस्तक्षेप की जरुरत नहीं पड़ेगी। इस प्रक्रिया के लिए अगले दो साल का समय सुनिश्चित किया गया है। व्हील्सआई जैसी लॉजिस्टिक टेक स्टार्टअप कंपनियां सरकार के साथ काम करते हुए इस प्रक्रिया को चार महीनों में पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। आंकड़ों के अनुसार, कुल टोल ट्रैफिक का लगभग 75% सिर्फ वाणिज्यिक वाहन हैं।
वाणिज्यिक वाहनों के लिए अधिकृत एआईएस-140 जीपीएस उपकरणों के सबसे बड़े प्रदाताओं में से एक, व्हील्सआई टेक्नोलॉजी का मानना है कि जीपीएस-आधारित टोल संग्रह को लागू करने का समय काफी कम हो सकता है। व्हील्सआई के प्रवक्ता सोनेश जैन ने कहा कि, ‘जीपीएस आधारित टोल संग्रह सिस्टम लागू हो जाने से देशभर के ट्रक मालिकों को फ्यूल/डीजल खरीद पर काफी बचत होगा। हमारा टारगेट समस्या के जड़ तक जाना है यानि साफ़ साफ़ अगर कहें तो हमें टोल पर ट्रक या अन्य वाहनों की रुकावटें को कम करना है। कैश का उपयोग करने से टोल लेनदेन मुश्किल से 30 सेकंड से 1 मिनट तक होता है लेकिन असल समस्या तब होती है जब टोल की कतार में वाहनों की लंबी कतार लग जाती है।
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