नई दिल्ली
पिछले दो साल से जबर्दस्त रिटर्न देने वाले Gold की चमक साल 2021 में फीकी में पड़ गई है। पिछले 30 साल में सोने की सबसे खराब शुरुआत के बाद कुछ ही महीने में सोना अपने उच्चतम भाव से करीब 21 फीसद तक गिर चुका है। इस साल सोने में गिरावट की सबसे बड़ी वजह अमेरिकी डॉलर का मजबूत होना और बॉन्ड यील्ड कस बढ़ना। कोरोना काल के पहले फेज के बाद निवेशकों का रुझान शेयर मार्केट और बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी के तरफ बढ़ने से भी सोने के भाव गिरे। अब सवाल उठता है कि इतनी गिरावट के बाद क्या सोना और सस्ता होगा? इस सवाल का जवाब पाने से पहले हमें यह जानना होगा कि सोने की कीमत कैसे तय होती है? सोने की कीमतें डिमांड और सप्लाई समीकरण और भू राजनीतिक घटनाओं आदि पर अधिक निर्भर हैं, जो आपूर्ति-मांग समीकरण को प्रभावित करती हैं। सोना अन्य एसेट ग्रुप की तरह नहीं है जो कि नकदी प्रवाह या आंतरिक मूल्य के आधार पर मूल्यवान हो सकते हैं। अगर आप लंबी अवधि के लिए सोने में निवेश करते हैं और 7-8 साल से पहले बेचने की योजना नहीं बनाते हैं तो सोने के बॉन्ड एक बेहतर विकल्प हैं।
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