राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि पांच राज्यों में चुनाव के नतीजों से देश को एक नई दिशा मिलेगी। पुणे जिले के बारामती में पवार ने पांच राज्यों के चुनाव परिणाम पर अपना आंकलन भी पेश किया। साथ ही उन्होंने राज्यपाल के प्रति गहरी नाराजगी प्रकट की। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने दावा किया कि असम को छोड़कर भाजपा को बाकी के चार राज्यों में हार का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने पश्चिम बंगाल में शक्ति का दुरुपयोग करने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की। पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम एवं केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव मार्च-अप्रैल में होने हैं। मतों की गिनती दो मई में होगी। उन्होंने कहा कि पांच राज्यों में चुनाव परिणाम के बारे में आज बात करना गलत है, क्योंकि इन राज्यों की जनता इस बारे में निर्णय करेगी। जहां तक केरल का सवाल है, वाम दल और राकांपा एक साथ आए हैं, और हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि हमें स्पष्ट बहुमत मिलेगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तमिलनाडु में लोग द्रमुक एवं इसके अध्यक्ष एमके स्टालिन का समर्थन करेंगे और वे लोग सत्ता में आएंगे। राकांपा प्रमुख ने कहा कि पश्चिम बंगाल में केंद्र खासकर भाजपा सत्ता का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात में कोई शंका नहीं है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस (चुनाव के बाद) सत्ता में बनी रहेगी। पवार ने कहा कि असम की स्थिति से वह अवगत हैं, और उनकी पार्टी के लोगों से प्राप्त सूचना के आधार पर ऐसा लगता है कि वहां सत्तारूढ़ भाजपा दूसरों की तुलना में अच्छी स्थिति में है। उन्होंने कहा कि मुझे भरोसा है कि इस रुझान से देश को एक नई दिशा मिलेगी।
राज्यपाल से नाराज
राकांपा प्रमुख ने कहा कि राज्य के इतिहास ने लोकतंत्र और संविधान की जिम्मेदारियों को पूरा नहीं करने वाला राज्यपाल पहले कभी नहीं देखा। यह चमत्कार वर्तमान राज्यपाल ने किया है और यह बात दुर्भाग्यपूर्ण है। जब पत्रकारों ने राज्यपाल की तरफ से नियुक्त विधान परिषद सदस्यों के बारे में सवाल किया तो उन्होंने यह बात कहते हुए राज्यपाल के प्रति नाराजगी प्रकट की। शरद पवार ने कहा कि राज्यपाल की यह जिम्मेदारी है कि वे संविधान में निहित शक्तियों और राज्य सरकार और मंत्रिमंडल में निहित शक्तियों के अनुसार सिफारिशों को लागू करें। उन्होंने कहा कि हमारी अपेक्षा थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब मुख्यमंत्री थे, उस वक्त उनकी भी राज्यपाल को लेकर कुछ शिकायतें थीं। यह बात उन्होंने कई बार कही भी थी। दुर्भाग्य से उन्हें अपने राज्य में भी यह सहना पड़ा।
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