निष्ठावान कांग्रेसी हुए दरकिनार । पार्टी में भारी नाराजगी ॥ इस्तीफे का दौर शुरू
मुंबई
कांग्रेस के परिवारवाद की परंपरा को कायम रखते हुए मुंबई कांग्रेस ने अपनी जंबो कमिटी में परिवारवाद को बढ़ावा दिया है। परिवारवाद के चक्कर में निष्ठावान कांग्रेसी दरकिनार कर दिए गए हैं। पार्टी के वरिष्ठ उत्तरभारतीय नेताओं की भी अनदेखी की गई है। इतना ही नहीं कई सीनियर लीडर का डिमोशन भी कर दिया गया है। इससे मुंबई कांग्रेस में भारी नाराजगी है। इस्तीफे का दौर भी शुरू हो गया है।
रिश्तेदारों को कमिटी में पद
मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष अशोक (भाई) जगताप के भांजे अनंत जाधव को सचिव बनाया गया है। पार्टी के निष्ठावान कांग्रेसी यह भी आरोप लगा रहे हैं कि भाई ने तो अपनी यूनियन के लोगों को भी मुंबई कांग्रेस में पदाधिकारी बना दिया है, जिनका पार्टी में कोई योगदान नहीं है। मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम के भाई अंजय श्रीवास्तव को
महासचिव पद की जिम्मेदारी दी गई है। निरुपम के समर्थक दबी जुबान यह कह रहे हैं कि अपने ऊपर हुई इस कृपा से निरुपम ने चुप्पी साध ली है। उनके कट्टर समर्थक बंधु राय को कमिटी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। जबकि दूसरे समर्थक इंदूप्रकाश तिवारी का डिमोशन कर दिया गया है। कहा यह जा रहा है कि बंधु राय का हिंदू और
उत्तरभारतीय प्रेम को लेकर हाईकमान को पत्र लिखना भारी पड़ गया। जयप्रकाश सिंह और उनके बेटे धीरज सिंह दोनों को कमिटी में जगह दी गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नसीम खान के भाई शरीफ खान का प्रमोशन कर उपाध्यक्ष बनाया गया है। अशरफ आजमी और दिलशाद आजमी पति- पत्नी दोनों नगरसेवक हैं। अशरफ आजमी के भाई अरशद को उत्तर मध्य मुंबई जिले के कार्याध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। मुंबई शहर के पालक मंत्री असलम शेख के समधी अब्दुल अहद खान को महासचिव बनाया है।
वरिष्ठ उत्तरभारतीय नेताओं की अनदेखी
बी. के. तिवारी, मनोज दुबे, कृपाशंकर पांडे, किशोर सिंह, रत्नेश सिंह, सतीशचन्द्र राय, सुरेश ठाकुर, इनायत अली, ताज मोहम्मद, देवी सिंह, अनीस संकला, मनोज सिंह, संदीप सिंह, राणा संग्राम सिंह, भँवरसिंह राजपुरोहित, डॉ. राजेंद्र सिंह, चंद्रशेखर दुबे जैसे कई वरिष्ठ उत्तरभारतीय नेताओं की अनदेखी की गई है। इनमें से कई नेताओं का डिमोशन कर दिया गया है तो कई को कमिटी में शामिल नहीं किया गया है। कमिटी में जगह नहीं मिलने से नाराज आनंद शुक्ला ने पार्टी से नाता तोड़ लिया है। आनंद शुक्ला ने कहा कि संकट के समय में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए पार्टी में शामिल हुआ था। पद न देकर पार्टी ने अपमान किया है, यह अपमान बर्दाश्त के बाहर है। निष्ठावान कांग्रेसी नेताओं की अनदेखी, दूसरी पार्टियों से आए नेताओं को वरीयता देने से आहत वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अनिल त्रिपाठी ने भाई जगताप को शिकायत भरा पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताई है। भरत पारीख, विनय पाटिल, चंद्रकांत निर्भवणे, नितिन पाटिल समेत कई निष्ठावान कांग्रेसी नेताओं को भी जगह नहीं मिली है। मुंबई कांग्रेस प्रवक्ता अरुण सावंत ने भी नाराज होकर इस्तीफा दे दिया है। चंद्रेश दुबे जैसे कई युवाओं को मौका न देकर महत्वहीन व पहचानविहीन लोगों को पदाधिकारी बना दिया गया है, जिनकी पब्लिक के बीच कोई पहुंच नहीं है। जहां एडवोकेट विजय सिंह का डिमोशन हुआ है वहीं निजामुद्दीन राइन जैसे वरिष्ठ नेता को सचिव पद पर संतोष करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
परिश्रम करना पड़ा भारी
कृपा भइया के साथ परिश्रम कर पसीना बहाने वाले दुबे, पांडे, सिंह को भी कांग्रेस ने बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। लेकिन भइया के परिश्रम में शामिल रहने वाले और उनके करीबी आसिफ फारूकी पर कांग्रेस ने क्यों मेहरबानी दिखाई इस पर पार्टी के कार्यकर्ता सवाल उठा रहे हैं।
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