गांव की राजनीति मजबूत करने को लालू ने दी हरी झंडी
पटना
पश्चिम बंगाल के साथ ही बिहार की सियासत को भी गर्म करने की कवायद है। वहां विधानसभा चुनाव है तो यहां पंचायतों की सरकार चुनी जानी है। पौने तीन लाख पदों के लिए आठ लाख से ज्यादा मतदाता अपनी पसंद का इजहार करेंगे।
दो बड़े प्रतिद्वंद्वी दलों भाजपा और राजद की ओर से मुकाबले की तैयारी है। बिहार में दलीय आधार पर पंचायत चुनाव की परंपरा नहीं रही है, लेकिन भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं को लड़ाने और समर्थन देने का खुला ऐलान कर विपक्षी दलों की बेचैनी बढ़ा दी है। ऐसे में राजद ने भी भाजपा के समानांतर चलने और उसी की शैली में जवाब देने की रणनीति तैयारी कर रखी है। एक-एक सीट के सभी पदों पर कड़ा और बड़ा संघर्ष होगा।
राजद अपने कार्यकर्ताओं को देगी सहयोग
खुद को गांवों और गरीबों की पार्टी बताने वाले राजद का दावा है कि तीन स्तर की पंचायती राज व्यवस्था की 50 फीसद से ज्यादा सीटों पर उसके समर्थकों का कब्जा है। प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन ने यह दावा विधानसभा चुनाव में पंचायतों में पार्टी की ओर से कराए गए सर्वे के आधार पर किया है, जिसको लेकर तेजस्वी यादव काफी संजीदा हैं। भाजपा की सक्रिय भागीदारी के ऐलान के बाद तेजस्वी ने तीन दिन पहले अपने दल के प्रमुख नेताओं की बैठक भी बुलाई थी, जिसमें तय हुआ कि अपनी जमीन बचाने के लिए राजद किसी हद तक जाएगा। भाजपा की तैयारियों का जवाब देने के लिए राजद ने भी आचार संहिता बना ली है। राजद के मुख्य प्रदेश प्रवक्ता भाई वीरेंद्र इसकी तस्दीक करते हैं। उन्होंने बताया कि जिला परिषद, मुखिया एवं सरपंच जैसे पदों पर राजद के कार्यकर्ता भी प्रत्याशी बनेंगे। पार्टी के स्तर से उन्हेंं सहयोग-समर्थन दिया जाएगा। हमारा प्रयास है कि किसी भी पद के लिए राजद का कोई एक ही कार्यकर्ता उम्मीदवार बने, ताकि आपस में टकराने की नौबत नहीं आए। इस रणनीति से राजद की गांव की राजनीति मजबूत होगी।पंचायत चुनाव में भाजपा की रणनीति का जवाब देने के लिए राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने सहमति दे दी है।
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