ठाणे
जिले की एक सत्र अदालत ने मनसुख हिरेन की मौत के मामले में पुलिस अधिकारी सचिन वझे को अंतरिम जमानत देने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि उनके विरूद्ध प्रथमदृष्ट्या सबूत और सामग्री है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस ताम्बे ने वझे को अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया और कहा कि हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ करने की जरूरत है। अदालत के इस आदेश की प्रति शनिवार को उपलब्ध करायी गयी।
आदेश में कहा गया है, ‘यह अदालत आवेदक (वझे) को अंतरिम जमानत देने के लिए सहमत नहीं है, क्योंकि आवेदक के विरूद्ध प्रथमदृष्ट्या सबूत और सामग्री हैं। हिरासत में लेकर उससे पूछताछ करने की जरूरत है।’ वझे ने अग्रिम जमानत के लिए शुक्रवार को याचिका दायर की थी। वझे के वकील ए.एम. कालेकर ने शुक्रवार को इस आधार पर अदालत से अपने मुवक्किल को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने का अनुरोध किया था कि वह जांच में सहयोग कर रहे हैं। लेकिन अतिरिक्त सरकारी वकील विवेक काडू ने इस अनुरोध का विरोध किया और दलील दी कि इस मामले में जांच अहम पड़ाव पर है। अंतरिम जमानत देने से इंकार करते हुए अदालत ने कहा कि इस मामले में आरोप भादंसं की धाराओं -302 (हत्या), 201 (सबूत नष्ट करना) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत हैं जो गंभीर अपराध हैं। अदालत ने कहा, ‘इस अदालत ने पाया कि 27-28 फरवरी, 2021 को मनसुख हिरेन मुंबई में आवेदक के साथ थे।’ उसने कहा कि हिरेन की पत्नी ने अपनी शिकायत में वझे का नाम लिया है। अदालत ने कहा, ‘सूचनाकर्ता (हिरेन की पत्नी) ने प्राथमिकी में आवेदक के खिलाफ प्रत्यक्ष आरोप लगाये हैं। इसलिए यह अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि जांच शुरूआती चरण में है।’ अदालत ने याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख 19 मार्च तय की है और महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के जांच अधिकारी को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। एटीएस इस मामले की जांच कर रहा है। वाजे ने याचिका में कहा है कि हिरेन की मौत के संबंध में एटीएस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में किसी व्यक्ति के नाम का उल्लेख नहीं है।
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