पटना
क्या उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड में विलय हो जाएगा? कुशवाहा व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच पिघलती बर्फ के दौर में जेडीयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने इसके संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा है कि आरएलएसपी के जेडीयू में विलय की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसके बाद नए सिरे से सियासी कयासों का सिलसिला आरंभ हो गया है। हालांकि, आरएलएसपी ने फिलहाल इसकी संभवाना से इंकार किया है। जेडीयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा है कि आरएलएसपी का जेडीयू में विलय हो सकता है। उपेन्द्र कुशवाहा को एक ही विचारधारा का साथी बताते हुए कहा कि उनसे लगातार बात हाेती रही है। हालांकि, इस पर फैसला उपेंद्र कुशवाहा को लेना है। वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि अगर आरएलएसपी का जेडीयू में विलय होता है, तो सभी काे उचित सम्मान दिया जाएगा। दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में गहरा झटका खाए नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू बिहार में तीसरे नंबर पर है। चुनाव में जेडीयू 43 सीटों पर सिमटकर रह गई है। जबकि, राष्ट्रीय जनता दल 75 और भारतीय जनता पार्टी 74 सीटों के साथ क्रमश: पहले और दूसरे नंबर पर हैं। इसके बाद जेडीयू को नए सिरे से मजबूत करने की कवायद के तहत आरएलएसपी के जेडीयू में विलय की बात हो रही है। इसे लेकर उपेंद्र कुशवाहा और जेडीयू नेता वशिष्ठ नारायण सिंह की कई बार मुलाकात हो चुकी है। दोनों हाल में भी दिल्ली में मिले थे। माना जा रहा है कि मार्च में यह विलय हो जाएगा। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस विलय के बाद उपेंद्र कुशवाहा को कैबिनेट या पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। हालांकि, आरएलएसपी के प्रधान महासचिव माधव आनंद ने पार्टी के जेडीयू में विलय से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि आरएलएसपी पार्टी मान्यता प्राप्त पार्टी है और संवैधानिक व लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत भी विलय कतई संभव नहीं है। जहां तक विलय के कयास की बात है, यह मीडिया का मामला है।
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