हार कर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं, इस बात को भारतीय टीम ने शनिवार को चरितार्थ कर दिया। दरअसल, अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेले गए चौथे व आखिरी टेस्ट मैच में भारत ने इंग्लैंड को पारी और 25 रन से हराकर चार मैचों की टेस्ट सीरीज 3-1 से अपने नाम की। चार मैचों की इस सीरीज की शुरुआत भारतीय टीम लिए निराशाजनक रही थी, क्योंकि पहले टेस्ट में भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद भारतीय टीम ने शानदार वापसी की और बाकी के बचे तीन टेस्ट मैचों में शानदार जीत दर्ज कर सीरीज अपने नाम की। यह पहली मर्तबा नहीं है, जब टीम इंडिया पहला टेस्ट हारकर बाकी बचे मैच में जीत हासिल कर सीरीज जीती हो। साल 2015 से यह सिलसिला जारी है। साल 2015 में टीम इंडिया ने श्रीलंका के खिलाफ पहला टेस्ट हारने के बाद 2-1 से सीरीज जीती थी। इसके दो साल बाद यानी साल 2017 में भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट में हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन सीरीज में टीम इंडिया ने 2-1 से जीत हासिल की थी। वहीं, साल 2021 में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को उसी की सरजमीं पर 2-1 से हारकर सीरीज पर 2-1 से कब्जा किया था, जबकि यहां भी टीम इंडिया को पहले टेस्ट में हार का सामना करना पड़ा था। इंग्लैंड के खिलाफ मौजूदा सीरीज में भी यही हुआ। पहले टेस्ट में भारतीय टीम को हार झेलनी पड़ी और बाकी के बचे तीन मैचों में टीम इंडिया ने शानदार जीत हासिल करते हुए चार मैचों की टेस्ट सीरीज 3-1 से अपने नाम की। इंग्लैंड ने पहले टेस्ट मैच में शानदार जीत हासिल करने वाली टीम के चार खिलाड़ियों को दूसरे टेस्ट में आराम दे दिया। तर्क दिया गया कि टीम रोटेशन पॉलिसी पर काम कर रही है। लेकिन, यह पॉलिसी बैकफायर कर गई। भारत ने दूसरा टेस्ट जीतकर सीरीज में वापसी की और फिर दोबारा पीछे मुड़कर नहीं देखा। स्पिनर्स की मददगार पिचों पर न सिर्फ इंग्लैंड के बल्लेबाजों को परेशानी हो रही थी, बल्कि भारतीय बल्लेबाज भी इन पर संघर्ष करते हुए दिखे।
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