गोरखपुर
जिले के तीन ब्लाकों के छह ग्राम पंचायतों में इस बार चुनाव को लेकर संशय के बादल मंडरा रहे हैं। 2011 की जनगणना के आधार पर जंगल कौड़िया, ब्रह्मपुर एवं कौड़ीराम ब्लाकों के दो-दो गांवों को अनुसूचित जनजाति (महिला भी शामिल) के लिए आरक्षित किया गया है लेकिन यहां वर्तमान में इस वर्ग की आबादी ही नहीं है। इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है। इस स्थिति में या तो यहां चुनाव न कराकर प्रशासक तैनात रखा जाएगा या शासन स्तर से निर्णय आने के बाद आरक्षण में बदलाव किया जा सकता है।
आरक्षण आवंटन की प्रक्रिया के दौरान ही संबंधित तहसीलों से मुख्य विकास अधिकारी को इस बात की जानकारी दी गई थी कि उनकी तहसील में इस वर्ग का कोई व्यक्ति नहीं है। इसे शासन के संज्ञान में भी लाया गया है। मुख्य सचिव आरके तिवारी ने बुधवार की सुबह इस संबंध में वीडियो कांफ्रेंसिंग भी की थी लेकिन अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका है। जंगल कौड़िया ब्लाक का जंगल कौड़िया गांव अनुसूचित जनजाति (एसटी) महिला, गायघाट ग्राम पंचायत अनुसूचित जनजाति, कौड़ीराम ब्लाक का चंवरिया बुजुर्ग गांव एसटी महिला, चंवरिया खुर्द एसटी के लिए आरक्षित है। इसी तरह ब्रह्मपुर ब्लाक का कोल्हुआ एसटी तथा महुअरकोल गांव एसटी महिला के लिए आरक्षित है।
पंचायती राज विभाग के अनुसार 2011 की जनगणना को आधार मानकर आरक्षण तय किया गया है। यही कारण एसटी का आरक्षण हो गया है। आबादी न होने के कारण यहां कोई चुनाव लड़ने वाला भी नहीं रहेगा तहसीलों की ओर से बताया गया है कि इन गांवों में किसी के पास एसटी का प्रमाण पत्र नहीं है और न ही 2015 के बाद किसी को इस जाति वर्ग का प्रमाण पत्र जारी किया गया है। चौरीचौरा तहसील में सन 2008 से 2015 के बीच सात प्रमाण पत्र जारी हुए थे। लेकिन, इसमें से छह को निरस्त किया जा चुका है।
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