नई दिल्ली
कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इस बीच गुजरात में कुछ चौंकाने वाले मामले लगातार सामने आ रहे हैं। रैपिड एंटीजन परीक्षण (आरएटी) और फिर आरटी-पीसीआर में निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद भी कोरोना पॉजिटिव होने की संभावना बरकरार रहती है।
गुजरात भर में डॉक्टरों के सामने ऐसे कई मामले आए हैं, जिसमें मरीज आरटी-पीसीआर टेस्ट में निगेटिव आता है, लेकिन उच्च-रिज़ॉल्यूशन सीटी (एचआरसीटी) में फेफड़ों में संक्रमण पाया जाता है।
समस्या इतनी विकट हो गई है कि वडोदरा नगर निगम ने एक अधिसूचना जारी करते हुए कहा है कि यह जरूरी नहीं है कि कोरोना का मौजूदा स्ट्रेन आरटी-पीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव दिखे। इसलिए बीमा कंपनियों और तीसरे पक्ष के प्रशासकों (टीपीए) को इसे कोविड पॉजिटिव मानना चाहिए। महामारी विज्ञान रोग अधिनियम के तहत जारी वीएमसी के आदेश में कहा गया है, ऐसे मामलों में जहां आरटी-पीसीआर निगेटिव है, लेकिन एचआरसीटी और प्रयोगशाला जांच में वायरल की पुष्टि होती है तो इसे कोरोना के रूप में माना जाना चाहिए।
वडोदरा के निजी अस्पतालों के एक संगठन SETU के अध्यक्ष डॉ. कृतेश शाह ने कहा, “मैंने ऐसे कई रोगियों को देखा है जो आरटी-पीसीआर में निगेटिव आए हैं, लेकिन उनके रेडियोलॉजिकल परीक्षणों से पता चला है कि उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है।
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