नई दिल्ली
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव को अपने ऋषभ पंत को कम उम्र में कप्तानी सौंपे जाने को लेकर कुछ समानताएं नजर आ रही हैं। ऋषभ पंत को 23 साल की उम्र में इंडियन प्रीमियर लीग में दिल्ली कैपिटल्स की कमान सौंपी गई है। श्रेयस अय्यर कंधे की चोट की वजह से आईपीएल 2021 से बाहर हो गए हैं और इसके बाद बाएं हाथ के इस विकेटकीपर बल्लेबाज को कप्तान बनाया गया है। ऋषभ पंत इससे पहले रणजी ट्रॉफी में दिल्ली की अगुवाई कर चुके हैं। हालांकि कपिल देव का मानना है कि आईपीएल पूरी तरह से अलग होगा। उन्होंने कहा वो अब कप्तान बन गए हैं और इससे ज्यादा किसी को सिक्योरिटी क्या मिलेगी, लेकिन कप्तानी मिलने के बाद जिम्मेदारियां भी काफी बढ़ जाती हैं। पंत के लिए ये आसान काम नहीं होगा। मैं चाहता हूं कि वो अपना नैचुरल गेम ही खेलें। अगर मैनेजमेंट को लगता है कि वो आगे भी अच्छी कप्तानी कर सकते हैं तो उन्हें मौका देना चाहिए। हमें ये इंतजार करना होगा कि इस सीजन उनका प्रदर्शन कैसा रहता है। ये देखने वाली बात होगी कि वो टीम को किस तरह से हैंडल करते हैं। टीम में इतने सारे सीनियर प्लेयर हैं तो आसान नहीं होगा।
कपिल को जब भारतीय टीम की कमान सौंपी गई तब उनकी उम्र 23 साल थी। जब वह 24 साल के हुए तो उनकी कप्तानी में भारत ने 1983 में पहला वर्ल्ड कप खिताब जीता।
ऋषभ पंत को दिल्ली कैपिटल्स का कप्तान बनाए जाने के बारे में कपिल की राय है कि सीनियर खिलाड़ियों को इस युवा कप्तान की मैदान पर मदद करनी होगी।
कपिल देव ने कहा, 'अगर सीनियर खिलाड़ी उनका समर्थन करते हैं तो उनके लिए इतना मुश्किल नहीं होगा। मुझे भी इतनी कम उम्र में कप्तान बना दिया गया था। रिकी पॉन्टिंग (दिल्ली कैपिटल्स) के कोच सिर्फ ड्रेसिंग रूम में अपनी भूमिका निभा सकते हैं। एक बार टीम जब मैदान पर है तो कप्तान के विचार सबसे ज्यादा मायने रखते हैं। अजिंक्य रहाणे और शिखर धवन जैसे सीनियर खिलाड़ियों को युवा कप्तान का सपॉर्ट करना होगा। कई बार सपॉर्ट नहीं होता और हमें कुछ मैचों तक उसका इंतजार करना होता है।'
दिल्ली कैपिटल्स के पास पंत के अलावा कई अनुभवी विकल्प मौजूद थे। इसमें शिखर धवन, अजिंक्य रहाणे, रविचंद्रन अश्विन और स्टीव स्मिथ के नाम शामिल हैं। सभी ने पहले आईपीएल में टीमों का प्रतिनिधित्व किया है। हालांकि फ्रैंचाइजी ने पंत पर दांव खेलने का फैसला किया।
कपिल हालांकि मानते हैं कि पंत के लिए बतौर कप्तान अपने पहले ही सीजन में दिल्ली को ट्रोफी जितवा पाना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा, 'हां, दिल्ली के ट्रोफी जीतन के 25-26 पर्सेंट चांस हैं। मुझे नहीं लगता कि इससे ज्यादा चांस हैं क्योंकि इसका अर्थ होगा कि वह बाकी टीमों के कप्तानों से बेहतर हैं। वह नए कप्तान हैं, उन्हें काफी अनुभव की जरूरत है। लेकिन खिताब जीतना काफी मुश्किल होगा।'
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